भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले एक बार प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष और मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
विधानसभा चुनाव में चुरहट सीट से अप्रत्याशित रूप से हार का सामना करने वाले अजय सिंह को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपने गढ़ विंध्य में जिस बड़ी हार का सामना करना पड़ा है, उसके बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले विंध्य में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में है।
विंध्य में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद अपने स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा करवाई है।
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान को जो रिपोर्ट मिली है, उसके पार्टी के बड़े नेताओं के बीच सामंजस्य का अभाव और पार्टी के नेताओं का ओवर कॉन्फिडेंस हार का प्रमुख कारण साबित हुआ है।
प्रदेश में भले ही कांग्रेस की सरकार बन गई हो, लेकिन कांग्रेस के गढ़ में मिली इस बड़ी हार के बाद विंध्य सहित बुंदेलखंड में कांग्रेस कार्यकर्ता निराश हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने और विंध्य समेत पूरे प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक सकारात्मक मैसेज देने के लिए पार्टी आलाकमान अजय सिंह को कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी में है।
इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलों के बीच अजय सिंह से कांग्रेस के मंत्रियों और नेताओं के मेल-मुलाकात का सिलसिला तेज हो गया है।
सूत्र बताते हैं कि अजय सिंह को नई जिम्मेदारी देने लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ, पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया के बीच सहमति बन गई है।
इसके बाद अजय सिंह को प्रदेश की कमान सौंपे जाने पर अंतिम निर्णय अब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी लेंगे।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की मोदी सरकार के सर्वणों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश में किसी सर्वण नेता को पार्टी की कमान देकर पूरे देश में सर्वणों को यह मैसेज देना चाह रही है कि कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जहां सर्वणों को काफी तवज्जो मिलती है।
मौजूदा समय प्रदेश कांग्रेस की कमान मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथों में ही है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर राहुल गांधी ने जो भरोसा दिखलाया था उसे कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाकर यहीं साबित कर दिया है।
अब जब कमलनाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं, ऐसे में उन पर सत्ता और संगठन को दोहरी जिम्मेदारी है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को जिन चुनौतियों से गुजरना पड़ रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने सत्ता और संगठन दोनों को संभालना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
ऐसे में पार्टी हाईकमान लोकसभा चुनाव से पहले सूबे में कांग्रेस की कमान किसी अन्य को देकर सत्ता और संगठन दोनों को पूरी ऊर्जा के साथ लोकसभा चुनाव में लगाने का दांव चलने की तैयारी में है।