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भोपाल के स्कूलों में डेढ़ साल बाद शुरू हुई 6ठी से 8वीं तक की क्लास, बस नहीं चलने से पैरेंट्स हो रहे परेशान

हमें फॉलो करें भोपाल के स्कूलों में डेढ़ साल बाद शुरू हुई 6ठी से 8वीं तक की क्लास, बस नहीं चलने से पैरेंट्स हो रहे परेशान
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विकास सिंह

, बुधवार, 1 सितम्बर 2021 (14:17 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना के चलते डेढ़ साल से बंद स्कूलों में अब रौनक लौटने लगी है। आज से प्रदेश के 6वीं से 8वीं तक के स्कूल फिर खुल गए है। इसके साथ ही प्रदेश में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 6वीं से 12वीं तक के स्कूल पूरी तरह खुल गए है। कोरोना प्रोटोकॉल की तहत खोले गए स्कूलों में आज पहले दिन ही अच्छी उपस्थिति देखी गई। स्कूल पहुंचाने वाले स्टूडेंट काफी खुश दिखाई दिए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूल पहुंचे बच्चे क्लास भी मास्क लगाकर पढ़ाई करते हुए दिखाई दिए। 
 
स्कूलों में इन गाइडलाइंस का पालन
-क्लास 50% स्टूडेंट्स के साथ ही हो रहीं संचालित
-स्कूल में काम करने वाले स्टॉफ को टीके का कम से कम एक डोज लगा हो
-स्टूडेंट के स्कूल आने पर पैरेंट्स की अनुमति अनिवार्य
-स्कूलों में राज्य स्तर से जारी कोविड प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा
-जिन स्कूलों में बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं उन स्कूलों में सप्ताह में एक दिन छोटे ग्रुप में क्लास लगाई जाएगी

राजधानी भोपाल के टीटी नगर स्थित आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पहले दिन बच्चों की अच्छी उपस्थिति दिखाई दी। कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूल गेट पर छात्रों को मास्क एवं सैनिटाइजर वितरित करने के साथ कोविड-19 के नियमों के प्रति जागरूक रहने को कहा गया।

स्कूल की प्रिसिंपल रेखा शर्मा ने खुद छात्रों का कोरोना प्रोटोकॉल की जानकारी देने के साथ उनका स्वागत किया है। स्कूल में स्टूडेंट की ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन क्लास भी लगाई गई। लंबे इंतजार के बाद खुले स्कूल के पहले दिन स्टूडेंट अपने टीचरों और दोस्तों से मिलकर खुश दिखाई दिए। 
 
कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूलों में क्लास में एक सीट पर केवल एक ही स्टूडेंट को बैठाया गया वहीं एक क्लास में सिर्फ 15 स्टूडेंट बैठाए गए। स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार स्कूलों में पहले दिन सिर्फ 50 फीसदी छात्रों को ही बुलाया गया था। स्कूल में कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का पालन सख्ती से किया गया। वहीं वेबदुनिया ने बच्चों को स्कूल छोड़ने आए पैरेंट्स से बात भी की। अधिकांश पैरेंट्स का कहना था कि स्कूल बस नहीं शुरु होने से उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

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