भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार कथित तौर एक और बड़े घोटाले में फंसती हुई दिखाई दे रही है। प्रदेश के महिला और बाल विकास विभाग में कथित तौर पर बड़ा घोटाला सामने आया है। स्कूलों और आंगनवाड़ी में मुफ्त भोजन योजना के वितरण में बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आ रही है। अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करोड़ों का हज़ारों किलो पोषण आहार कागजों में ट्रक से परिवहन करना बताय गया जबकि जांच में पाया गया कि जिन ट्रकों के नंबर बताए गए थे वो दरअसल बाइक, ऑटो, कार, टैंकर के थे। इतना ही नहीं लाखों ऐसे बच्चों को भी लाभार्थी के तौर पर दिखा गया जो स्कूल नहीं जाते उनके नाम पर भी करोड़ों का राशन बांट दिया गया।
प्रदेश में पोषण आहार को लेकर अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट में लाभार्थियों की पहचान में गड़बड़ी, स्कूली बच्चों के लिए महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना के वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में धांधली पाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक योजना के तहत करीब साढ़े 49 लाख रजिस्टर्ड बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार दिया जाना था। जिसके नाम पर करोड़ों की धांधली की गई। पोषण आहार सप्लाई में टेक होम राशन बनाने वाले संयंत्रों और फर्मों ने 6.94 करोड़ की लागत वाले 1125.64 एमटी टीएचआर का परिवहन करने का दावा किया। गौर करने वाली बात यह है कि परिवहन में इस्तेमाल किए गए वाहन मोटरसाइकिल, कार, ऑटो और टैंकर के रूप में दर्ज है।
कैग की रिपोर्ट में गडब़ड़ी का बात सामने आने के बाद कांग्रेस ने सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला किया है। कांग्रेस की मीडिया विभाग के चेयरमैन जयराम रमेश ने ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर हमला बोले हुए लिखा कि “मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने पहले व्यापम घोटाले से युवाओं का भविष्य बर्बाद किया था, अब ग़रीब बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साथ अन्याय! क्या मामा ने ऐसे घोटाले करने के लिए ही महाराज के साथ तोड़फोड़ कर के सरकार बनाई थी?”
वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीटर पर सरकार को घेरते हुए लिखा कि “मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं. मामू को अब अपनी काली कमाई के धनबल पर इतना भरोसा हो गया है कि वे समझते हैं कि सभी बिकाऊ हैं”।
सरकार की सफाई- वहीं पोषण आहार घोटाले को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सफाई दी है। गृहमंत्री ने कहा कि पोषण आहार मामले में सीएजी की रिपोर्ट राय है, ये कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं है। यह एक प्रक्रिया का हिस्सा है। सीएजी की रिपोर्ट अंतिम नहीं होती है इस राज्य सरकार स्क्रूटनी करती है। अभी यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है औ न ही कोई अंतिम निष्कर्ष निकलता है।