जल गंगा संवर्धन अभियान में सीहोर ने रचा इतिहास, खेत तालाब के निर्माण में पेश की नई मिसाल
सीहोर जिले में शुरू हुए 1164 से अधिक खेत तालाब, किसानों की जागरूकता से सिंचाई में होगा फायदा
भोपाल। मध्यप्रदेश में बारिश के पानी का संचयन करने और पुराने जल स्त्रोतों को नया जीवन देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा इन दिनों 90 दिनों का जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा के तहत खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट, अमृत सरोवर सहित अन्य निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं।
बारिश के पानी को सहेजने के लिए खेत तालाब बनाने में सीहोर जिले ने 1164 से अधिक तालाब बनाने के लिए आगे आकर मिसाल पेश की है। इस वर्ष 2025 में 1164 से अधिक खेत तालाब प्रारंभ हो चुके हैं। यानी खेत तालाब के निर्माण में वृद्धि कर सीहोर जिले ने मिसाल पेश की है।
जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत सीहोर जिले में लगभग 1670 खेत तालाब के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 1164 पर कार्य प्रारंभ हो गया है। इसी प्रकार 2600 कूप रिचार्ज पिट का निर्माण किया जाना है, जिसके एवज में जिला प्रशासन द्वारा 2345 कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई है। 1440 पर कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। इधर, जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत जिलों में चल रहे कार्यों की महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
किसान अपने खेतों में अधिक से अधिक खेत तालाब बनवाए, इसके लिए जिला प्रशासन सीहोर की मेहनत रंग लाई है। खेत तालाब को बनवाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को जागरूक किया गया। खेत तालाब का महत्व बताया। जिसके परिणाम स्वरूप ग्रामीणों ने पानी के महत्व को समझा और खेत तालाब को बनवाने में रुचि दिखाई। खेत तालाब बनने से किसानों को सिंचाई के लिए आसानी से पानी मिलेगा। साथ पानी बहने के बजाय जमीन में जाएगा। जिससे कुआं और ट्यूबवेल का वाटर लेवल बढ़ेगा। इससे किसानों को फायदा होगा।
फसलों की सिंचाई के साथ कर सकेंगे मछली पालन-सीहोर जिले की जनपद पंचायत इछावर की ग्राम पंचायत हालियाखेड़ी के ग्राम बालापुरा के किसान पीयूष, बापू सिंह, हजारी लाल, रामप्रसाद ने बताया कि पथरीली व बंजर जमीन होने के साथ पानी की सुविधा भी नहीं थी। जिस वजह से फसलों की सिंचाई नहीं हो पाती थी। अब गांव में खेत तालाब बन जाने से फसलों की दो से तीन बार सिंचाई कर सकेंगे। इसके साथ ही मछली पालन सहित अन्य कार्य भी कर सकेंगे। किसानों ने गांव में खेत तालाब बनने से खुशी जताई है। उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत हालियाखेड़ी में अब तक 7 खेत तालाब बनाए जा चुके हैं, जबकि 5 प्रगतिरत है।
सिपरी सॉफ्टवेयर बना मददगार-जिला प्रशासन सीहोर के अधिकारियों के अनुसार खेत तालाब के निर्माण में महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा तैयार कराया गया सिपरी साफ्टवेयर मददगार बना है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्थल चयन करने में आसानी हुई है। सिपरी (Software for Identification and Planning of Rural Infrastructure) सॉफ्टवेयर एक उन्न्त तकनीक का सॉफ्टवेयर है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जियोमार्फोलॉजी और हाइड्रोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके संरचनाओं का सही स्थान तय किया जा सकता है।