सस्टेनेबल डेवेलपमेंट के लिए ऊर्जा संरक्षण जरूरी है
चाय हमारा अघोषित राष्ट्रीय पेय है। यह ड्रिंक सेहत के लिए तो फायदेमंद है ही परंपरागत रूप से भी अतिथि स्वागत इसके बिना अधूरा माना जाता है। ठंड के गुलाबी दिनों में चाय एनर्जी ड्रिंक की तरह पसंद की जाती है। राजनीति में तो चाय पर चर्चा लोकप्रिय है ही हमारे प्रधानमंत्री भी चाय को लेकर संवेदनशील है।
बहरहाल, इस समय हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी चाय के बारे में जो सूर्य देवता की गुनगुनी आंच पर पकी और राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर सोलर प्रेमियों ने इसकी एक साथ चुस्कियां ली।
यह सामूहिक सोलर चाय सेवन कार्यक्रम जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट, सनवादिया में जनक दीदी के नेतृत्व में संपन्न हुआ। जनक दीदी के नाम से मशहूर इंदौर शहर का देश-विदेश में नाम रोशन करने वाली पद्मश्री डॉ. जनक मगिलिगन पलटा ने इस अनूठे कार्यक्रम को सेंटर पर आयोजित किया जिसमें शहर के युवा, सनावदिया और आसपास के ग्रामवासियों, प्रबुद्ध नागरिकों, जिज्ञासु विद्यार्थियों ने ' ऊर्जा संरक्षण क्यों जरूरी है' विषय पर सार्थक समूह चर्चा की।
ठंड के दिनों को ध्यान में रखते हुए किए गए इस आयोजन का आरंभ श्रीमती नंदा चौहान के हाथों बनी सोलर चाय और सोलर से तैयार ड्रायफ्रूट्स(केले, सेबफल) तथा ऑर्गेनिक नाश्ते के साथ हुआ। इस तुरंत एनर्जी वाले नाश्ते को सभी ने दिल से पसंद किया।
इस अवसर पर डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने सभी का स्वागत किया और चर्चा आरंभ की। उन्होंने कहा कि ऊर्जा का उद्गम स्थल हमारी आत्मा है। जब ऊर्जा संरक्षण का संकल्प अपनी आध्यात्मिक जिम्मेदारी समझकर निभाया जाएगा तब ही पूरी सृष्टि का आध्यात्मिक, सामाजिक, मानसिक विकास होगा साथ ही पर्यावरण का भी विकास, संरक्षण और संवर्द्धन होगा।
भारत का सदियों से विश्वास है कि विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो लेकिन इस शुभ वाक्य से भटक हम स्वयं ही पंच तत्वों के विनाश की राह पर चल पड़े हैं और आज प्राकृतिक आपदाओं तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के शिकार हो रहे हैं। लेकिन अभी भी सर्वनाश से बचने और सस्टेनेबल डेवेलपमेंट के लिए अनिवार्य है कि हम ऊर्जा का संरक्षण करें। इसके अक्षय स्त्रोतों का हमें वैकल्पिक नहीं प्राथमिक स्त्रोत के रूप में उपयोग करना होगा।
उन्होंने अपने यहां ऊर्जा संरक्षण का प्रत्यक्ष उदाहरण उपस्थित जनसमुदाय को दिखाया। वे अपने गैस सिलेंडर को ढाई साल तक चला लेती हैं और सोलर कुकिंग, सोलर ऊर्जा उत्पादन, विंड एनर्जी उत्पादन आदि से ऊर्जा संरक्षण कर अन्य लोगों को ऐसा करने की प्रेरणा दे रही हैं। अब तक वे पिछले 6 साल से 60000 से ज्यादा लोगों को अपनी जीवनशैली, सीख, अनुभव तथा ज्ञान से प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
सोलर चाय पर आमंत्रित सनावदिया गांव की आदिवासी महिलाओं ने बताया कि ऊर्जा की बचत कर कैसे उन्हें अपने जीवन में फायदे मिल रहे हैं।
सोलर कुकर पर सोलर चाय बनाकर पेश करने वाली जनक दीदी की सहयोगी और सोलर कार्यकर्ता श्रीमती नंदा चौहान ने बताया कि किस तरह गांव में महिलाओं के लिए यह अक्षय ऊर्जा बहुत सारे फायदों के स्त्रोत बनी है और इसने महिला सशक्तिकरण के लिए एक ताकत के रूप में कार्य किया है। अब गांव में महिलाओं को जंगल में लकड़ी बीनने सुबह 4 बजे नहीं जाना पड़ता, वे घर के कार्य कर पाती हैं और सुरक्षित भी महसूस करती हैं। जानलेवा धुंए से मुक्ति भी इन्ही अक्षय ऊर्जा के स्रोतों से मिली है।
इंटरनेशनल सोलर कुकिंग फाउंडेशन द्वारा गांव की आदिवासी महिला श्रीमती निहजू रावत को 5 जून को 2017 एक सोलर कुकर दिया गया था। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस सोलर कुकर के इस्तेमाल से उनकी ज़िंदगी ही बदल गई है। दाल-सब्जी- चावल रखने से अपने आप पक जाते हैं। चूल्हे में फूंक मारने का भी काम खत्म हो गया और अब धुंए रहित रसोई तथा बिना खर्चे से उनके जीवन में कई सारी छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण खुशियां आ गई है जो उन्होंने कभी सोची नहीं थी।
इस अवसर पर सभी सहभागियों ने ऊर्जा के सरंक्षण पर अपने कार्यक्षेत्र में किये जाने वाले प्रयासों और अनुभवों को एक दूजे के साथ बांटा।
जैविक खेती कर रहे युवा गौतम कासलीवाल के अनुसार हमें ऊर्जा संरक्षण को अपने व्यक्तिगत फायदे से जोड़कर देखना होगा तभी उसको बचाने का महत्व समझ आएगा। मैकेनिकल इंजीनियर वरुण रहेजा ने सोलर ड्रायर के माध्यम से ऊर्जा बचाने के तरीके बताए।
मेटल आर्टिस्ट देवल वर्मा ने अक्षय ऊर्जा के उपकरणों के निर्माण और उनका प्रचार-प्रसार कर इसके बारे में लोगों को प्रेरित करने तथा सबको इसके फायदे बताने पर ज़ोर दिया।
आईटी विशेषज्ञ और सोशल मीडिया एक्सपर्ट समीर शर्मा ने आईटी में ऊर्जा बचाने के तरीकों के साथ व्यक्तिगत पहल और सोशल मीडिया से लोगों को जागरूक करने की बात की। समीर ने बताया कि ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा बचत दोनों अलग अलग बातें हैं। हम शहर में रहने वालोंको अभी तक ऊर्जा बचत ठीक से नहीं आई है, हमें सूर्य और हवा जैसे अक्षय स्त्रोतों को हमारे घरों, संस्थानों और व्यावसायिक उपयोग में लाना ही होगा और फॉसिल फ्यूल को वैकल्पिक तौर पर इस्तेमाल करना होगा।
टेरी यूनिवर्सिटी से आई प्रकृति और पंखुड़ी दो प्रशिक्षु छात्राओं ने कहा कि यहां पर ऊर्जा के उपयोग, संरक्षण के तरीकों ने उनकी आंखें खोल दी, वे दिल्ली से आई हैं और यहां की साफ हवा ने उन्हें नया जीवन दे दिया है औऱ किताबों से निकलकर वास्तविक जीवन में ऊर्जा की महत्ता समझ आ रही है।
इंटीरियर डिजाइनर वैभव जोशी ने कहा कि इन सभी विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को समाज हित में एक साथ एक लक्ष्य के लिए जोड़ना एक बड़ा कार्य है और इस तरह के इवेंट हमेशा होते रहने चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी को इस उद्देश्य के साथ जोड़ने पर बल दिया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि प्रतिभागियों में एक चाय की दुकान चलाने वाले लोकेश प्रजापत भी शामिल थे। उन्हें सोलर चाय इतनी भा गई कि उन्होंने सोलर टी स्टॉल लगाने का निश्चय किया। इस प्रकार चाय पर यह चर्चा ऊर्जा संरक्षण के वादों और एक नई सोलर टी स्टाल के खुलने संकल्प के साथ पूरी हुई। जनक दीदी ने सबका आभार माना।