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मध्यप्रदेश में 50 साल के सबसे भयंकर सूखे का संकट, सोयाबीन की 60% फसल बर्बाद, धान भी चौपट

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विकास सिंह

, मंगलवार, 5 सितम्बर 2023 (14:12 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में कम बारिश के चलते सूखे का संकट खड़ा हो गया है। बारिश नहीं होने के चलते जहां एक ओर खेतों में खड़ी किसानों की फसल सूख रही है वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बिजली संकट के चलते किसानों के सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में खेतों में खड़ी किसान की धान की फसल सूखने लगी है। खुद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह चुके  है कि यह संकट की स्थिति है। 50 साल में सूखे का ऐसा संकट कभी नहीं आया।

सोयाबीन की फसल बर्बाद-बारिश नहीं होने से सबसे अधिक असर खेतों में तैयार खड़ी सोयबीन की फसल पर पड़ रहा है। खेतों में लगभग तैयार खड़ी सोयाबीन की फसल बर्बाद की कगार पर पहुंच गई है। अगस्त का पूरा महीना लगभग सूखा निकलने के चलते किसानों की सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है। बारिश नहीं होने के चलते सोयाबीन की फसल में कीड़े लगने लगे है जिससे खेतों में ख़ड़ी फसल सूखने लगी है। मालवा-निमाड़ जहां पर किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती करते हुए वहां के किसानों पर सबसे अधिक मौसम की मार पड़ी है। ऐसे में किसानों को मजबूरी में सिंचाई के लिए बोरिंग का सहारा लेना पड़ रहा है। राजधानी भोपाल के बैरसिया के किसान उमाशंकर पटेल कहते है कि बारिश नहीं होने  के चलते फसल बुरी तरह बर्बाद हो गई है। खेत पूरी तरह सूख गए है और जमीन फटने  लगी है, इससे खेतों में खड़ी फसल का तगड़ा नुकसान हुआ है।

क्या कहते है कृषि एक्सपर्ट?-प्रदेश में बारिश नहीं होने के चलते फसलों पर पड़ने वाले असर पर कृषि वैज्ञानिक साधुराम शर्मा कहते हैं कि बारिश होने के चलते सोयबीन की फसल बर्बाद की कगार है, अगर अगले 1-2 दिन बारिश नहीं होती है तो मध्यप्रदेश में 60 फीसदी सोयाबीन की फसल बर्बाद हो जाएगी। वेबदुनिया से चर्चा में साधुराम शर्मा कहते हैं कि बारिश नहीं होने के चलते खेतों में सोयाबीन की फसल पीली पड़कर सूखने लगी है। यह वह समय होता है जब सोयाबीन की फली में दाना बनता  है और पानी नहीं मिलने से दाने की ग्रोथ रूक गई है जिससे दाना बहुत छोटा हो जाएगा, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। वह कहते हैं कि अगर आज-कल में बारिश नहीं होती है तो 60 फीसदी से ज्यादा फसलों का नुकसान होगा। अब फसलों में फलियों में बीज बनना शुरु हुआ था, इस समय जमीन में ज्यादा से ज्यादा नमी होना चाहिए और वह नहीं है। इस कारण दाना बहुत छोटा  पड़ जाएगा और इससे फसल पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। अभी बहुत भंयकर स्थिति है।

वहीं कृषि एक्सपर्ट साधुराम शर्मा कहते हैं कि धान की फसल भी बुरी तरह प्रभावित हुई है क्यों धान तो पानी का कीड़ा है। धान ही नहीं सभी फसलों प्रभावित हुई है। वह किसानों से अपील करना चाहते हैं कि अगर उनके पास साधन है तो फौरन सिचाई करें। वहीं सोयाबीन की फसल में कीड़ा लगने पर कहते हैं कि अगर अभी किसान कीटनाशक का छिड़काव  करेगा तो वहां पानी नहीं है, जो बड़ी समस्या है।  

गांवों में बिजली संकट-प्रदेश में बिजली की कमी के चलते ग्रामीण इलाकों में बिजली  सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। जिसके चलते प्रदेश के कई इलाकों में अघोषित बिजली कंटौती हो रही है। लगातार बढ़ रही बिजली की डिमांड और उत्पादन में आ रही कमी के कारण मांग आपूर्ति में अब अंतर आने लगा है। बीते साल जहां इन महीनों में प्रदेश में बिजली की डिमांड 9 से 10 हजार मेगावाट होती थी वह अब 15 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। इसके चलते प्रदेश में 6 हजार मेगावाट बजिली कम पड़ रही है। वर्तमान में प्रदेश में 9 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जबकि जरुरत 15 हजार मेगावाट की है। बिजली की कमी के चलते ग्रामीण इलाकों में 3 घंटे बिजली कटौती के आदेश जारी किए गए हैं। गांवों में 10 घंटे की जगह 7 घंटे बिजली सप्लाई की जाएगी।

क्या बोले सीएम शिवराज?-खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बारिश नहीं होने के कारण बिजली का संकट पैदा हो रहा है। सावन-भादौ में इतनी बिजली की जरुरत नहीं पड़ती थी। प्रदेश में इस समय 8-9 हजार मेगावॉट बिजली की जरुरत पड़ती थी लेकिन अब लगभग 15 हजार मेगावाट बिजली की मांग है। यहीं कारण है कि प्रदेश में कुछ जगह किसानों को कम बिजली मिल पा रही है।  सरकार की बिजली की कमी का पूरा करने की कोशिश कर रही है, इसलिए बाहर से बिजली लेने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील है कि वह अनावश्यक बिजली नहीं जाए। सरकार की कोशिश है कि किसानों को 10 घंटे बिजली मिल सके।   

इन जिलों में कम बारिश-मौसम विभाग के मुताबिक मध्य प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। इनमें झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, मंदसौर, आगर मालवा, शाजापुर, राजगढ़, गुना, अशोक नगर, भोपाल, ग्वालियर, छतरपुर, दमोह, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, बालाघाट, नीमच, उज्जैन, सीहोर, टीकमगढ़ आदि जिले शामिल है। प्रदेश में सबसे कम बारिश सतन में दर्ज की है जहां औसत से 46 फीसदी कम बारिश हुई है।

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