भोपाल। आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में लाल परेड ग्राउंड भोपाल मे प्रदेश व्यापी नशा मुक्ति अभियान का शुभारंभ देश के गणमान्य विभूतियों व सभी धर्मगुरुओं की गरिमामय उपस्थिति में एक भव्य कार्यक्रम के रूप मे सम्पन्न हुआ।
डॉ. सज्जाद वासी नकवी एडीजी, नारकोटिक्स पुलिस मुख्यालय, भोपाल के मार्गदर्शन मे निरीक्षक पदमसिंह कायत व कुंवरसिंह सोलिया, उपनिरीक्षक अजय कुमार शर्मा नारकोटिक्स विंग इंदौर के नेतृत्व मे राष्ट्रीय स्तर साइबर एक्सपर्ट प्रो. गौरव रावल, क्लीनिकल कार्डिओलोजिस्ट डॉ. विमल किशोर भगत, लैब मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. धर्मवीर सिंह माहोर, आयुर्वेदाचार्य डॉ. इसहाक ख़ान, मनोविज्ञानी प्रवीण श्रीवास्तव एवं विनोद रोज़ इंदौर के साथ 40 नारकोटिक्स वॉलेंटियर्स ने उत्साहपूर्वक इस महाअभियान में हिस्सा लिया।
इस प्रदेशव्यापी दो-माही (2 अक्टूबर से 2 दिसंबर) अभियान का मुख्य उद्देश्य नशा-मुक्ति से संबंधित विषयों पर समाज के हर वर्ग के पुरुषों, महिलाओ व उनके बच्चों को सुरक्षा व समाधान से संबंधित व्याख्यान देकर प्रत्येक समुदाय व उनके धर्मगुरुओं, व्यावसायिक व शिक्षण संस्थानों एवं पुलिस व सभी हितधारकों के साथ मिलकर प्रदेश में चल रहे नशे के कारोबार को समाप्त करना व युवाओं को विभिन्न इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से इस बढ़ते खतरे के प्रति जागरूक करके उन्हें नशे के खिलाफ एक सिपाही की तरह तैयार करना है।
इस अवसर पर एडीजी नकवी ने सभी नारकोटिक्स वोलेंतीयर्स को नशे के खिलाफ लड़ने व नशे से नशे से ग्रस्त व्यक्ति व उनके परिवारों के मानसिक, आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य पर होने वाले कुप्रभावों व नशा के प्रकार, नशीले पदार्थों की दवाएं और उनके हानिकारक प्रभाव की जानकारी दी।
साइबर एक्सपर्ट प्रोफेसर गौरव रावल के साथ सभी नारकोटिक्स वॉलिंटियर्स को मुख्यमंत्री के संकल्प नशे को ना और जिंदगी को हां कहिए। उत्साह पूर्वक दोहराया। निरीक्षक कायत व सोलिया, उपनिरीक्षक अजय कुमार शर्मा नारकोटिक्स विंग, इंदौर मौजूद रहे।
साइबर-क्राइम प्रीवेंटिव मेजर्स पर सेमिनार : राष्ट्र समाज समुदाय सहित निजी जिंदगी के अधिकांश पहलुओं में सूचना एवं तकनीकी का उपयोग तथा महत्व पिछले कुछ वर्षों से तेजी से बड़ा है बैंकिंग शॉपिंग से लेकर सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से हम जुड़े हैं इन माध्यमों से जुड़कर कई बार हम में से कुछ लोग जाने अनजाने कुछ गलतियां या चूक कर दे जाते हैं। यह महज हमारे लिए ही नहीं बल्कि समाज और परिवार के लिए मुश्किल पैदा कर देती हैं और कई बार शातिर अपराधी हमारे साथ धोखाधड़ी या फ्रॉड कर देते हैं, जो साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।
चमेलीदेवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट इंदौर में कम्प्यूटर एवं आईटी विभाग द्वारा आयोजित सेमिनार साइबर-क्राइम एंड प्रीवेंटिव मेजर्स को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर गौरव रावल ने उक्त बातें कहीं। सेमिनार मे 200 छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
उन्होंने बताया कि महामारी के बाद व दौरान इंटरनेट यूजर्स बढ़ने से वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध 630% बढ़ा है, जो कि चिंताजनक है। इसी कड़ी में प्रतिदिन 5 लाख 60 हजार नए मॉलवेयर डिटेक्ट हो रहे हैं। साइबर अपराध की विभिन्न श्रेणियों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रोफेसर रावल ने कहा कि साइबर सुरक्षा के प्रति सचेत और जागरूक रहकर 70% तक इससे बचा जा सकता है।
प्रो. रावल ने छात्रों को SOVA आंड्रोइड ट्रोजन वाइरस के बारे मे CERT इंडिया की आधिकारिक चेतावनी के बारे मे आगाह किया तथा इससे बचने के विभिन्न तरीकों के बारे भी विस्तार से बताया। प्रो. रावल ने विभिन्न एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर जैसे- ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और विभिन्न सामाजिक मीडिया प्लेटफार्मों के लिए निर्धारित आयु सीमा मानदंड तथा खर्च किए जाने वाले समय के बारे में छात्रों को जागरूक किया।
उन्होंने उन्होंने साइबर अपराध में साइबरस्टॉकिंग और साइबरबुलिंग पर भी व्यापक रूप से चर्चा की तथा छात्रों को इससे संबंधित विभिन्न धाराओं जैसे IPC 354D और 509 के प्रावधानों के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी। उन्होंने छात्रों से कहा कि अपने सिस्टम और मोबाइल पर भी एक स्ट्रॉंग पासवर्ड (मिनिमम 11 कैरक्टर) का उपयोग करें। गूगल पर नकली टैक सपोर्ट से सावधान रहें। ईमेल की आईडी की सुरक्षा की जानकारी रखें और अपनी इंटरनेट गतिविधि को प्रासंगिक बनाए रखें।
सेमिनार के अंत में प्रो. रावल को स्मृति चिन्ह और प्रशंसा पत्र के साथ सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में गुप्र डायरेक्टर डॉ. जॉय बैनर्जी, प्रिंसीपल डॉ. मनीष श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष शैलेन्द्र मिश्रा, राधेश्याम आचोलिया एवं समस्त शिक्षकगण उपस्थित रहे। एवं कार्यक्रम का आभार डॉ. अनिष कुमार चौधरी दारा किया गया।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala