-कीर्ति राजेश चौरसिया
सूखे से जूझ रहे मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में उस समय विचित्र स्थिति निर्मित हो गई, जब एक मलबे के ढेर में बने तीन गड्ढों में पानी निकल आया। इस घटना के बाद वहां लोगों का तांता लगा हुआ है और दावा किया जा रहा है कि इस पानी से लकवा तक ठीक हो रहा है।
मामला छतरपुर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर लवकुशनगर थाना क्षेत्र के ग्राम कटहरा का है, जहां ग्रेनाइट के मलबे से बने रैंप के नीचे छोटे-छोटे 3 गड्ढे बन गए हैं। इन गड्ढों से रहस्यमयी तरीके से पानी निकल रहा है। गड्ढे अब लोगों की आस्था का केन्द्र बन गए हैं। अंधविश्वास में डूबे लोग इस पानी को गंगा और जमुना से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि हकीकत में गंगा नदी मध्यप्रदेश को छूकर भी नहीं निकलती।
कुछ लोगों की मानें तो इस पानी को पीने से लकवे जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
लोगों के अनुसार लकवे से ग्रसित रामेश्वर राजपूत नाम के एक व्यक्ति के सपने में भगवान शंकर आए और सपने में भगवान ने रामेश्वर को गांव में ही एक जगह पर गंगा मां के प्रकट होने की बात कही। सुबह होने पर जब रामेश्वर सपने में दिखे स्थान पर गया तो वहां उसे तीन गड्ढे दिखाई दिए जिनमें से पानी निकल रहा था। उसने वहां के गड्ढों में भरे पानी से स्नान किया तो उसके सारे अंग काम करने लगे और अब वो अच्छी तरह से चल फिर सकता है।
बस, फिर क्या था रामेश्वर ने अपने ठीक होने की कहानी जैसे ही लोगों को सुनाई वहां भीड़ इकट्ठी होने लगी। वहां झंडा गाड़ दिया गया। एक पुजारी भी पहुंच गए और पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई। अगरबत्तियां जलाई जाने लगीं। नारियल और प्रसाद चढ़ाया जाने लगा।
स्थिति यह है कि पुजारी कभी इसे कालेश्वर भगवान की कृपा कहते है तो कभी सिद्ध बाबा की जय बोलते हैं। पुजारी तो अब यहां हर रोग को ठीक होने का दावा तक करने लगे हैं।
अंधविश्वास के खेल में लोग गड्ढों के पानी को बोतलों में भर उसे चरणामृत की तरह पीने लगे हैं और गंदे पानी को अमृत समझकर उसमें अपने हर दुख हर रोग का समाधान खोज रहे हैं।
हालांकि सूखे की मार झेल रहे इस इलाके में जब कुएं और तालाब सूखे पड़े हों तो ऐसे में इन गड्ढों में हो रहा जल का रिसाव जांच का विषय जरूर है।