मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज विधानसभा में कहा कि राज्य में देवस्थानों पर अगर कहीं अतिक्रमण की स्थिति है, तो उसे हटाया जाएगा। डॉ. यादव ने कहा कि शासन संधारित जितने भी मंदिर हैं, उनका धर्मस्व संचालनालय देखभाल कराता है। सरकारी स्तर के देवस्थानों पर अगर कहीं अतिक्रमण की स्थिति है, तो उन्हें हटाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शासन संधारित मंदिरों के प्रशासक कलेक्टर होते हैं। मंदिरों के युक्तियुक्तकरण के लिए समिति बनाई गई है। कई स्थानों पर ऐसी स्थिति है कि मंदिर के नाम पर भूमि कहीं और है और मंदिर कहीं और। इसी क्रम में उन्होंने उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि इन स्थितियों को भी ठीक किया जाएगा।
इसके पहले प्रश्नकाल के दौरान उज्जैन जिले की घट्टिया विधानसभा के विधायक सतीश मालवीय ने ये मुद्दा उठाते हुए कहा कि आगामी सिंहस्थ में उनकी विधानसभा के मंदिरों में दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग आएंगे। उन्होंने कई मंदिरों का नाम लेते हुए कहा कि वे जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं और शासन उनका जीर्णोद्धार कराए। उन्होंने कहा कि कई मंदिरों के पुजारी परिवार कहीं और चले गए हैं और उन पर किन्हीं और ने अतिक्रमण कर लिया है। उन्होंने ऐसे मामलों में जांच कराने की मांग की।
इस पर धर्मस्व राज्यमंत्री धर्मेंद्र लोधी ने कहा कि शासन द्वारा संधारित मंदिरों के लिए विभाग राशि देता है। राज्य में ऐसे 21 हजार से ज्यादा मंदिर हैं। ऐसे मंदिरों के मामलों में कलेक्टर की ओर से प्रस्ताव आने के बाद शासन की ओर से बजट जारी किया जाता है। लोधी ने कहा कि सभी जिला कलेक्टरों को मंदिरों से कब्जा हटाने के लिए निर्देशित किया जाएगा।