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एकलव्य के संबंध में 10 रहस्यमयी बातें

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अनिरुद्ध जोशी

एकलव्य के संबंध में बहुत भ्रम फैला हुआ है। एकलव्य एक राजपुत्र थे, भील थे, आदिवासी थे, निषाद थे या कि और कोई? क्या सच में ही गुरु द्रोणाचार्य ने इसलिए उन्हें शिक्षा नहीं दी क्योंकि वे एक भील थे? इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जाती है। आओ जानते हैं इस संबंध में 10 खास बातें।
 
 
1. कहते हैं कि एकलव्य भगवान श्रीकृष्ण का चचेरा भाई था। एकलव्य वसुदेव के भाई का बेटा था। यह एक जंगल में खो गया था और और हिरण्यधनु नाम के निषाद राजा को वह मिला था। तब से उसे हिरण्यधनु का पुत्र ही माना जाता है।
 
2. यह भी कहा जाता है कि एकलव्य भगवान श्रीकृष्ण के पितृव्य (चाचा) के पुत्र थे जिसे बाल्यकाल में ​ज्योति​ष के आधार पर वनवासी भीलराज निषादराज हिरण्यधनु को सौंप दिया गया था।
 
 
3. महाभारत काल में प्रयाग (इलाहाबाद) के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य निषादराज हिरण्यधनु का था। गंगा के तट पर अवस्थित श्रृंगवेरपुर उसकी सुदृढ़ राजधानी थी। हिरण्यधनु का पुत्र एकलव्य था।
 
4. अब यह तय करना पाना मुश्किल है कि एकलव्य एक खो गया बालक था या कि हिरण्यधनु का पुत्र? वह यदि श्रीकृष्ण का चचेरा भाई था तो निश्चित ही यदुवंशी था और यदि नहीं था तो वह निषाद जाति का था। महाभारत में एक जगह उल्लेख मिलता है कि एकलव्य निषादराज के दत्तक पुत्र थे।
 
 
5.यह धारणा गलत है कि एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्या ने इसलिए शिक्षा नहीं दी थी क्योंकि वह एक शूद्र जाति से था जबकि सच यह है कि द्रोणाचार्य ने भीष्म को वचन दे रखा था कि मैं आपके राज्य के राजपुत्रों को ही शिक्षा दूंगा।
 
6. विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण के अनुसार एकलव्य अपनी विस्तारवादी सोच के चलते जरासंध से जा मिला था। जरासंध की सेना की तरफ से उसने मथुरा पर आक्रमण करके एक बार यादव सेना का लगभग सफाया कर दिया था।
 
 
7. ऐसा भी कहा जाता है कि यादव सेना के सफाया होने के बाद यह सूचना जब श्रीकृष्‍ण के पास पहुंचती है तो वे भी एकलव्य को देखने को उत्सुक हो जाते हैं। दाहिने हाथ में महज चार अंगुलियों के सहारे धनुष बाण चलाते हुए एकलव्य को देखकर वे समझ जाते हैं कि यह पांडवों और उनकी सेना के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। तब श्रीकृष्‍ण का एकलव्य से युद्ध होता है और इस युद्ध में एकलव्य वीरगति को प्राप्त होता है। हालांकि यह भी कहा जाता है कि युद्ध के दौरान एकलव्य लापता हो गया था। अर्थात उसकी मृत्यु बाद में कैसे हुई इसका किसी को पता नहीं है। 
 
9. एकलव्य के वीरगति को प्राप्त होने या लापता होने के बाद उसका पुत्र केतुमान सिंहासन पर बैठता है और वह कौरवों की सेना की ओर से पांडवों के खिलाफ लड़ता है। महाभारत युद्ध में वह भीम के हाथ से मारा जाता है।
 
10. इसमें कोई दो राय नहीं की एकलव्य श्रेष्ठ धनुर्धर था। गुरु द्रोण की मूर्ति बनाकर मूर्ति के समक्ष एकलव्य ने धनुष विद्या सिखी थी। गुरु द्रोण को जब इस बात का पता चला कि एकलव्य अर्जुन से भी श्रेष्ठ धनुष बाण चलाना सिख गया है तो उन्होंने एकलव्य से पूछा कि तुमने यह विद्या कहां से सीखी। इस पर एकलव्य ने कहा- गुरुवर मैंने आपको ही गुरु मानकर आपकी मूर्ति के समक्ष यह विद्या को हासिल किया था। इस बात पर द्रोण ने कहा कि तब तो हम गुरु दक्षिणा के हकदार हैं। एकलव्य यह सुनकर प्रसन्न हो गया और कहने लगा मांगिए गुरुदेव क्या चाहिए। द्रोण ने कहा कि तुम जिस हाथ से प्रत्यंचा चढ़ाते हो मुझे उस हाथ का अंगूठा चाहिए।

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