Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

किन्नरों के देवता कौन हैं? क्यों होती है एक दिन की शादी, महाभारत के अर्जुन से क्या है कनेक्शन?

हमें फॉलो करें किन्नरों के देवता कौन हैं? क्यों होती है एक दिन की शादी, महाभारत के अर्जुन से क्या है कनेक्शन?
, शनिवार, 19 नवंबर 2022 (12:27 IST)
Iravan arjuna son: भारत में किन्नरों के कई समाज है। बड़ी संख्या में किन्नर भारत में निवास करते हैं। हर शहर में आपको किन्नर मिल जाएंगे। होली, दिवाली या किसी के यहां संतान के जन्म पर ये लोग आते हैं और सभी को आर्शीवाद देते हैं। ऐसी जनश्रुति है कि प्रभु श्रीराम ने किन्नरों का आशीर्वाद देकर कहा था कि कलयुग में तुम्हारा राज होगा। भारत में अब तो किन्नरों का एक अखाड़ा भी है, जिसकी आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी है।
 
किन्नरों के देवता कौन हैं । Who is the god of eunuchs : देशभर में जितने भी किन्नर है उन सभी के देवता इरावन है।
 
क्यों होती है एक दिन की शादी : वर्ष में एक दिन ऐसा भी आता जब किन्नर रंग-बिरंगी साड़ियां पहनकर और अपने जूड़े को चमेली के फूलों से सजाकर इरावन से शादी करती है। हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। अगले दिन इरावन देवता की मौत के साथ ही उनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है। मान्यता है कि इसी दिन इरावन की महाभारत के युद्ध में मौत हो गई थी।
 

इसकी याद में हजारों किन्नर तमिलनाडु के कूवागम गांव में एकत्रित होते हैं। जहां वे अपनी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण दिन वार्षिक ‘शादी’ समारोह में शिरकत करते हैं। पौराणिक मान्यता अनुसार भगवान कृष्ण ने औरत का रूप धारण कर नाग राजकुमार इरावन से शादी की थी। विल्लूपुरम जिले के इस गांव में इरावन की पूजा कूथांदवार के रूप में होती है। हजारों किन्नर इरावन की दुल्हन के रूप में शादी समारोह में शिरकत करती हैं और मंदिर के पुजारी ने उनकी गर्दन में कलावा बांधवाती हैं।
webdunia
महाभारत के अर्जुन से क्या है कनेक्शन? मान्यता अनुसार महाभारत युद्ध में एक समय ऐसा आता है जब पांडवों को अपनी जीत के लिए मां काली के चरणों में स्वेच्छिकरूप से किसी पुरुष की बलि हेतु एक राजकुमार की जरूरत पड़ती है। जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो इरावन खुद को इसके लिए प्रस्तुत कर देता है, लेकिन वह इसके साथ ही एक शर्त भी रख देता है कि वह अविवाहित नहीं मरेगा। इस शर्त के कारण यह संकट उत्पन्न हो जाता है कि यदि किसी राजा की बेटी या सामान्य स्त्री से उसका विवाह किया जाता है कि वह तुरंत ही विधवा हो जाएगा। ऐसे में कोई भी पिता इरावन से अपनी बेटी के विवाह के लिए तैयार नहीं होता है। तब भगवान कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप में इरावन से विवाह करते हैं। इसके बाद इरावन अपने हाथों से अपना शीश मां काली के चरणों में अर्पित कर देता है। इरावन की मृत्यु के पश्चात कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक उसकी मृत्यु का विलाप भी करते हैं। अब चुकी कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में इरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर, जोकि स्त्री रूप में पुरुष माने जाते हैं, वह भी इरावन से एक रात की शादी रचाते हैं और उन्हें अपना आराध्य देव मानते हैं। लेकिन यह कथा कितनी सच है यह कोई नहीं जानता, क्योंकि महाभारत में तो इरावन की मौत के राज कुछ और ही है।
 
इरावन अर्जुन का पुत्र था। इसका जन्म विशेषकाल परिस्थिति में हुआ था। दरअसल, एक बार अर्जुन ने युधिष्ठिर और द्रौपदी को एकांत में देखकर वैवाहिक नियम भंग कर दिया था जिसके चलते उन्होंने स्वेच्छापूर्वक एक वर्ष के लिए तीर्थ भ्रमण स्वीकार कर इंद्रप्रस्थ छोड़ दिया। एक दिन वे हरिद्वार में स्नान कर रहे थे कि तभी नागराज कौरव्‍य की पुत्री नागकन्या उलूपी ने उन्हें देखा और वह उन पर मोहित हो गई। ऐसे में वह उन्हें खींचकर अपने नागलोक में ले गई और उसके अनुरोध करने पर अर्जुन को उससे विवाह करना पड़ा।
 
अर्जुन ने नागराज के घर में ही वह रात्रि व्‍यतीत की। फिर सूर्योदय होने पर उलूपी के साथ अर्जुन नागलोक से ऊपर को उठे और फिर से हरिद्वार (गंगाद्वार) में गंगा के तट पर आ पहुंचे। उलूपी उन्‍हे वहां छोड़कर पुन: अपने घर को लौट गई। जाते समय उसने अर्जुन को यह वर दिया कि आप जल में सर्वत्र अजेय होंगे और सभी जलचर आपके वश में रहेंगे।
 
अर्जुन और नागकन्या उलूपी के मिलन से अर्जुन को एक वीरवार पुत्र मिला जिसका नाम इरावान रखा गया। भीष्म पर्व के 90वें अध्याय में संजय धृतराष्ट्र को इरावान का परिचय देते हुए बताते हैं कि इरावान नागराज कौरव्य की पुत्री उलूपी के गर्भ से अर्जुन द्वारा उत्पन्न किया गया था। नागराज की वह पुत्री उलूपी संतानहीन थी। उसके मनोनीत पति को गरूड़ ने मार डाला था, जिससे वह अत्यंत दीन एवं दयनीय हो रही थी। ऐरावतवंशी कौरव्य नाग ने उसे अर्जुन को अर्पित किया और अर्जुन ने उस नागकन्या को भार्या रूप में ग्रहण किया था। इस प्रकार अर्जुन पुत्र उत्पन्न हुआ था। इरावान सदा मातृकुल में रहा। वह नागलोक में ही माता उलूपी द्वारा पाल-पोसकर बड़ा किया गया और सब प्रकार से वहीं उसकी रक्षा की गयी थी। इरावान भी अपने पिता अर्जुन की भांति रूपवान, बलवान, गुणवान और सत्य पराक्रमी था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

उत्पन्ना एकादशी पर कर लिए 5 काम तो कोई नहीं रोक पाएगा, हो जाएंगे धनवान