shri krishna eklavya war: महाभारत में एक से बढ़कर एक योद्धा थे जिनमें से कुछ तो ऐसे भी थे जिन्हें मारना मुश्किल था। लेकिन ऐसे कई योद्धा थे जिन्होंने भारत के युद्ध में भाग नहीं लिया था और ऐसे भी योद्धा थे जो महाभारत युद्ध के पहले ही अन्य किसी युद्ध में मारे गए थे। एकलव्य भी एक ऐसा योद्धा था जिसने कुरुक्षेत्र में लड़े गए महाभारत युद्ध में भाग नहीं लिया था।
कौन था एकलव्य : महाभारत काल में प्रयाग (इलाहाबाद) के तटवर्ती प्रदेश में सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य निषादराज हिरण्यधनु का था। गंगा के तट पर अवस्थित श्रृंगवेरपुर उसकी सुदृढ़ राजधानी थी। हिरण्यधनु का पुत्र एकलव्य था। कहते हैं कि एकलव्य भगवान श्रीकृष्ण का चचेरा भाई था। एकलव्य वसुदेव के भाई का बेटा था। यह एक जंगल में खो गया था और और हिरण्यधनु नाम के निषाद राजा को वह मिला था। तब से उसे हिरण्यधनु का पुत्र ही माना जाता है।
यह धारणा गलत है कि एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्या ने इसलिए शिक्षा नहीं दी थी क्योंकि वह एक शूद्र जाति से था जबकि सच यह है कि द्रोणाचार्य ने भीष्म को वचन दे रखा था कि मैं आपके राज्य के राजपुत्रों को ही शिक्षा दूंगा। इसके अलावा अन्य किसी को भी शिक्षा नहीं दूंगा और दूसरा द्रोण ने अर्जुन को कहा था कि तुमसे बढ़कर कोई धनुर्धारि नहीं होगा।
श्रीकृष्ण और एकलव्य का युद्ध : विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण के अनुसार एकलव्य अपनी विस्तारवादी सोच के चलते जरासंध से जा मिला था। जरासंध की सेना की तरफ से उसने मथुरा पर आक्रमण करके एक बार यादव सेना का लगभग सफाया कर दिया था।
ऐसा भी कहा जाता है कि यादव सेना के सफाया होने के बाद यह सूचना जब श्रीकृष्ण के पास पहुंचती है तो वे भी एकलव्य को देखने को उत्सुक हो जाते हैं। दाहिने हाथ में महज चार अंगुलियों के सहारे धनुष बाण चलाते हुए एकलव्य को देखकर वे समझ जाते हैं कि यह पांडवों और उनकी सेना के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। तब श्रीकृष्ण का एकलव्य से युद्ध होता है और इस युद्ध में एकलव्य वीरगति को प्राप्त होता है। हालांकि यह भी कहा जाता है कि युद्ध के दौरान एकलव्य लापता हो गया था। अर्थात उसकी मृत्यु बाद में कैसे हुई इसका किसी को पता नहीं है।
एकलव्य के वीरगति को प्राप्त होने या लापता होने के बाद उसका पुत्र केतुमान सिंहासन पर बैठता है और वह कौरवों की सेना की ओर से पांडवों के खिलाफ लड़ता है। महाभारत युद्ध में वह भीम के हाथ से मारा जाता है।
महाभारत में लड़ाई : जनश्रुति के आधार पर ऐसी मान्यता है कि एकलव्य की मृत्यु कृष्ण के हाथों रुकमणि हरण के दौरान हुई थी। इस दौरान वह पिता की रक्षा करते हुए मारे गए थे, परंतु तब श्री कृष्ण ने उन्हें द्रोण से बदला लेने के लिए फिर जन्म लेने का वरदान दे दिया था। श्रीकृष्ण के वरदान के बाद एकलव्य ने द्रुपद के बेटे धृष्टद्युम्न के रूप में जन्म लिया और महाभारत के युद्ध के दौरान उन्होंने अंगूठे के बदले में द्रोण का सिर काट दिया था। द्रुपद की पुत्री ही द्रोपदी थीं जो धृष्टद्युम्न की बहन थीं।
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