Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मनोज जरांगे पाटिल एक बड़े राजनीतिक फैक्टर के रूप में उभरते नजर आ रहे हैं। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चलाए गए उनके आंदोलन ने उन्हें मराठा समुदाय और खासकर युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनकी लोकप्रियता महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों के लिए चुनौती बन सकती है। सवाल यह है कि क्या मनोज जरांगे पाटिल इस चुनाव में महाराष्ट्र की सियासत का खेल बदल सकते हैं?
मराठा आरक्षण आंदोलन से बढ़ी लोकप्रियता : मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बड़े आंदोलन किए, जिनका असर महाराष्ट्र के कई इलाकों में देखा गया। उनकी मांगें पूरी न होने के बावजूद उन्होंने जनता के बीच अपनी मजबूत छवि बनाई। मराठवाड़ा क्षेत्र में, जहां मराठा समुदाय की बड़ी संख्या है, वहां जरांगे की पकड़ मजबूत मानी जा रही है। यही वजह है कि वे इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर सकते हैं।
मराठा समुदाय महाराष्ट्र की जनसंख्या का करीब 32 प्रतिशत हिस्सा है, जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में मराठा वोट बैंक का बड़ा हिस्सा भाजपा की ओर झुका था, लेकिन 2024 में जरांगे के आंदोलनों ने इस वोट बैंक को प्रभावित किया है, जिससे भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
दलित और किसान वोट बैंक पर नजर : मनोज जरांगे पाटिल केवल मराठा आरक्षण तक सीमित नहीं रहना चाहते। वे अब एक बड़े राजनीतिक गठजोड़ की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें मुसलमान, दलित और किसान समुदायों को भी शामिल किया जा सकता है। महाराष्ट्र में दलित समुदाय की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है, जिनमें महार, मातंग, भांबी जैसी जातियां शामिल हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति की आबादी भी करीब 8 प्रतिशत है। यदि जरांगे इन समुदायों का समर्थन पाने में सफल होते हैं, तो वे महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
महायुति और महाविकास अघाड़ी के लिए चुनौती : जरांगे पाटिल की बढ़ती लोकप्रियता महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों के लिए चुनौती बन रही है। हाल ही में, एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने जरांगे से मुलाकात कर संभावित गठबंधन का संकेत दिया है, जिससे महाराष्ट्र की सियासी हलचल और तेज हो गई है। छोटे दलों का समर्थन जरांगे को मिल सकता है, जो दोनों बड़े गठबंधनों के लिए संकट का कारण बन सकता है।
जरांगे का कहना है कि मराठा आरक्षण का मुद्दा केवल मराठा समुदाय तक सीमित नहीं है। अब उनका उद्देश्य अन्य हाशिए पर खड़े समुदायों को एकजुट करना है, जिससे वे महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए गठजोड़ की नींव रख सकते हैं।
क्या जरांगे बदल सकते हैं महाराष्ट्र की राजनीति? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनोज जरांगे पाटिल आने वाले समय में महाराष्ट्र की सियासत का रुख बदल सकते हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और विभिन्न समुदायों को जोड़ने की रणनीति उन्हें एक बड़ा फैक्टर बना रही है। 2024 के चुनाव में, जरांगे का प्रभाव केवल मराठवाड़ा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में दिखाई दे सकता है।
यदि दलित, किसान और मराठा वोट बैंक जरांगे के समर्थन में आता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा बदलने वाला साबित हो सकता है। महायुति और महाविकास अघाड़ी को अब इस उभरते हुए खिलाड़ी से सतर्क रहना होगा, क्योंकि उनकी रणनीति आने वाले चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मनोज जरांगे पाटिल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं। मराठा आरक्षण आंदोलन से उभरे जरांगे अब अन्य हाशिए पर खड़े समुदायों को जोड़ने की कोशिश में हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और नए गठबंधन बनाने की क्षमता महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों के लिए चुनौती बन सकती है।