Bombay High Court's statement: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने कहा है कि किसी भारतीय को अमेरिकी नागरिकता वाले बच्चे को गोद लेने का मौलिक अधिकार नहीं है, भले ही वह बच्चा रिश्तेदार का ही क्यों न हो। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने बुधवार को एक भारतीय दंपति की अपने रिश्तेदार के बेटे को गोद लेने की याचिका को खारिज कर दिया। यह बच्चा जन्म से अमेरिकी नागरिक है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में बच्चा किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और दत्तक ग्रहण विनियमों के प्रावधानों के अनुसार देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे या कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे (नाबालिग बच्चा जिसने कथित तौर पर कोई अपराध किया हो) की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है।
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अदालत ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम या दत्तक ग्रहण विनियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो विदेशी नागरिकता वाले बच्चे को गोद लेने की अनुमति देता हो भले ही वे रिश्तेदार ही क्यों न हों, जब तक कि बच्चे को देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता न हो या बच्चा कानून का उल्लंघन न कर रहा हो। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अमेरिकी बच्चे को गोद लेने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
बच्चे का जन्म 2019 में अमेरिका में हुआ था लेकिन याचिकाकर्ता दंपति उसे तभी भारत ले आए थे जब वह कुछ माह का था। तब से बच्चा उनके साथ रह रहा है और वे उसे गोद लेने के इच्छुक हैं। पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह गोद लेने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta