Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गांधीज्म, ए क्वेस्ट फॉर न्यू सिविलाइजेशन : बौद्धिक नजरिए से गांधी की समीक्षा

हमें फॉलो करें गांधीज्म, ए क्वेस्ट फॉर न्यू सिविलाइजेशन : बौद्धिक नजरिए से गांधी की समीक्षा
प्रदीप कुमार
 
इस पुस्तक की प्रस्तावना राजमोहन गांधी ने अमेरिकी शहर इलिनोइस से लिखी है। प्रस्तावना की पहली पंक्ति में उन्होंने बताया कि यह पुस्तक प्रेम और सीखने की ललक से अस्तित्व में आई है, यह पुस्तक एक प्रतिभाशाली पत्नी द्वारा अपने बीमार और चिंतक पति के प्रति प्रेम की निशानी है। 
 
दरअसल स्व. दशरथ सिंह जीवनपर्यंत शिक्षण और शोध से जुड़े रहे। उनके शोध के काम मुख्यतः गांधीजी के काम पर आधारित रहा। जीवन के अंतिम दिनों में वे कैंसर से पीड़ित थे लेकिन पल-पल पास आती मौत के बावजूद उन्होंने गांधीजी पर अपना शोध काम जारी रखा और उनके निधन के बाद पत्नी की कोशिशों से यह पुस्तक कल्पाज प्रकाशन से आ सकी।
 
पुस्तक में गांधीजी के विचारों की विस्तार से विवेचना शामिल है। कुल दस अध्यायों में बंटी इस पुस्तक के केंद्र में निश्चित तौर पर गांधीजी की सत्यता और अहिंसा संबंधी प्रयोगों की व्याख्या है। लेकिन बापू की सोच-समझ का दायरा महज सत्य और अहिंसा तक ही आधारित नहीं था, वे समाज के लिए शिक्षा, सद्भाव, सुशासन और पर्यावरण संबंधी जरूरतों को भी भलीभांति समझते थे। 
 
सत्य और अहिंसा तो सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा थे, जिसे गांधीजी ने प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल किया। लेकिन उन्होंने भारतीय समाज में अपने कुछ मौलिक विचार भी दिए। दशरथ सिंह उन विचारों में सर्वोदय (यानी सबका उदय हो, भला हो) को सबसे अहम मानते हैं, और उन्होंने कई कोणों से सर्वोदय के महत्व को समझाने की कोशिश की है। 
 
सामाजिक सुधारों के नजरिए से भी उनका योगदान बेहद अहम रहा है। मसलन जाति व्यवस्था को ही लें। गांधीजी मानते थे कि वर्ण व्यवस्था में कोई बुराई नहीं है। उनके मुताबिक यह वैज्ञानिक तौर पर ऐसी व्यवस्था थी जिसके तहत हर आदमी को काम मिल सकता था लेकिन वे जातीय विभेद और छुआछूत के खिलाफ थे। उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों की समस्या दूर करने के लिए, उन्हें बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए, उन्हें जागरूक बनाने के लिए "हरिजन" नामक अखबार का संपादन भी किया। 
 
इसके अलावा उन्होंने समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने में भी अहम भूमिका अदा की। उन्होंने इस बात की अपील की कि महिलाओं को समाज में उसी तरह के अधिकार मिलने चाहिए जो पुरुषों के पास हैं, इसी सोच के तहत उन्होंने महिलाओं को आजादी के आंदोलन से जोड़ा और उनके सशक्तिकरण पर जोर दिया। पुस्तक से गुजरते हुए यह भरोसा अध्याय दर अध्याय मजबूत होता जाता है कि गांधी के बताए रास्तों की प्रासंगिकता हमेशा कायम रहेगी। 
 
इस पुस्तक के बारे में राजमोहन गांधी का आकलन है कि इसमें गांधी की समीक्षा बौद्धिक नजरिए से की गई है क्योंकि ये एक प्रोफेसर की किताब है। हालांकि गांधी और उनके विचारों में दिलचस्पी रखने वाले सभी लोगों के लिए यह पुस्तक पठनीय है। यह पुस्तक अभी अंग्रेजी में ही प्रकाशित हुई है लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि यह विस्तृत पाठक समूह के लिए जल्द ही अनूदित हो कर हिंदी में भी आएगी।
 
पुस्तक : गांधीज्म, ए क्वेस्ट फॉर न्यू सिविलाइजेशन
लेखक : स्व. प्रो. दशरथ सिंह
संपादक : कुमुद सिन्हा
प्रकाशन : कल्पाज प्रकाशन 
मूल्य : 625 रुपए

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जेवराती ग्राहकी बढ़ी, सोना और चांदी उच्‍चतम स्‍तर पर