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प्रेरक प्रसंग : कैसे पाएं अधोपतन से मुक्ति

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वर्धमान महावीर : महान संत 


 

वर्धमान महावीर एक महान संत थे, जिन्होंने जैन धर्म की स्थापना की थी। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने इच्छाओं को जीत लिया था। इसीलिए उन्हें महावीर भी कहा जाता है।

एक बार उनसे उनके एक शिष्य ने प्रश्न किया, 'गुरुदेव, मनुष्य के अधोपतन का क्या कारण है और उससे अपनी मुक्ति के लिए क्या किया जाना चाहिए?'

महावीर बोले, 'यदि कोई कमंडलु भारी हो और उसमें पानी भी अधिक मात्रा में समा सकता हो, तो क्या वह खाली अवस्था में छोड़ा जाने पर डूबेगा?'

'कदापि नहीं,' उस शिष्य ने जवाब दिया।

उसमें यदि कोई दुर्गुण रूपी छिद्र हुआ तो समझ लो कि वह टिकने वाला नहीं। क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, अहंकार ये सारे दुर्गुण मनुष्य को डुबोने में कारणीभूत हो सकते हैं, इसलिए हमें सदा यह ध्यान में रखना चाहिए कि हमारी जीवन रूपी कमंडलु में कोई दुर्गुण रूपी छिद्र तो जन्म नहीं ले रहा है और यदि हमने उसी समय उसे उभरने नहीं दिया तो जान लो कि हमारा जीवन निष्कंटक रहेगा और हमें हर चीज सुलभता से प्राप्त होगी।'

भगवान महावीर की यह बात सुनकर उनके शिष्य को पहले तो विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब उसने इस पर गौर किया तो उसे लगा कि उसके गुरु ठीक कह रहे हैं।

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'यदि उसकी दाईं ओर एक छिद्र हो तो क्या उस अवस्था में भी वह तैर सकता है?'

'नहीं, वह डूब जाएगा।'

'और छिद्र बाईं ओर हो तो?'

'छिद्र बाईं ओर हो या दाईं ओर, छिद्र कहीं भी हो, पानी उसमें प्रवेश करेगा और अंततः वह डूब ही जाएगा।'

'तो सब यह जान लो कि मानव जीवन भी कमंडलु के ही समान है।

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