'जिओ और जीने दो' अहिंसा और सहिष्णुता का संदेश
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हेमंत उपाध्यायलगभग 2500 वर्ष पहले अहिंसा और सहिष्णुता की शिक्षा देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है। उनके सिद्धांत और आदर्श वर्तमान संदर्भों में सभी के लिए प्रासंगिक हैं। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय आदि अनेक उपदेशों को अपनाकर आज भी रामराज्य की स्थापना की जा सकती है।
वर्धमान महावीर का जन्मदिन महावीर जयंती के रुप मे मनाया जाता है। वर्धमान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान आदिनाथ की परंपरा में चौबीसवें तीर्थंकर थे। वे कठोर तप से इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर जिन अर्थात विजेता कहलाए। संतों का कहना है कि भगवान महावीर अभी के लिए हैं और सभी के लिए हैं....