महावीर : जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर
जो मोह माया मान मत्सर, मदन मर्दन वीर है।
जो विपुल विघ्नों बीच में भी, ध्यान धारण धीर है॥
जो तरण-तारण भव निवारण, भव जलधि के तीर है।
वे वंदनीय जिनेश तीर्थंकर स्वयं महावीर है॥
भगवान महावीर जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर है। तीर्थंकर उन्हें कहते है, जिन्हें संसार-सागर से पार होने का मार्ग बताया तथा स्वयं पार हुए तीर्थंकर कहलाते है। तीर्थंकर महावीर ने जैन धर्म की स्थापना नहीं की, अपितु जैन धर्म अनादि काल से है।
भगवान महावीर से पहले जैन धर्म में 23 तीर्थंकर और हुए है, जिनमें भगवान ऋषभदेव प्रथम तीर्थंकर थे। भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर होकर अंतिम तीर्थंकर है।
वे धर्म क्षेत्र के वीर, अतिवीर और महावीर थे, युद्घ क्षेत्र के नहीं, यु़द्घ क्षेत्र और धर्म क्षेत्र में बहुत बड़ा अंतर है। युद्घ क्षेत्र में शत्रु का नाश किया जाता है और धर्म क्षेत्र में शत्रुता का नाश किया जाता है। युद्घ क्षेत्र में पर को जीता जाता है और धर्म क्षेत्र में स्वयं को जीता जाता है। युद्घ क्षेत्र में पर को मारा जाता है।