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धनु से मकर में प्रवेश करेगा सूर्य

हमें फॉलो करें धनु से मकर में प्रवेश करेगा सूर्य
- पं. विनोद शर्मा
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इस वर्ष मकर संक्रांति पर्व पौष माह की 6 तिथि तद्नुसार 15 जनवरी को होगा। उदया तिथि के अनुसार दान-पुण्य का क्रम पूरे दिन चलेगा। इसी तिथि में प्रातः 6 बजकर 1 मिनट पर देवताओं का दिन उदय होगा, वहीं राक्षसों की रात्रि प्रारंभ होगी। इस समय सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा।

इसी दिन को संक्रांति पर्व कहते हैं। इसी दिन से सूर्य अपनी दिशा को परिवर्तित करते हुए उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार तिलासुर नामक दैत्य का संहार भवानी संक्रांति देवी ने किया। ग्रह मंडल में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ चराचर जगत के प्राणियों पर मिश्रित प्रभाव परिलक्षित होंगे।

संक्रांति का वाहन भैंसा, उप वाहन ऊँट, वस्त्र काले रंग के, उप वस्त्र श्वेत रंग, संक्रांति का मुख पश्चिम दिशा, भ्रमण स्थिति उत्तर दृष्टि, ईशान कोण में पांडु वर्ण की कंचुकी, मणि भूषण, रक्त चंदन लेपन, अर्क पुष्प, दही भक्षण, खप्पर-पात्र, मृग जाति आसीन है।
  उदया तिथि के अनुसार दान-पुण्य का क्रम पूरे दिन चलेगा। इसी तिथि में प्रातः 6 बजकर 1 मिनट पर देवताओं का दिन उदय होगा, वहीं राक्षसों की रात्रि प्रारंभ होगी। इस समय सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा।      


मकर संक्रांति का फल लगभग 6 महीनों तक रहेगा। मिश्रित फलों के अनुसार धरातल के सभी प्राणी सुखों की अनुभूति के चलते आनंदित रहेंगे। मांगलिक कार्यों की अधिकता रहेगी। रस पदार्थ दूध, दही, घृत का उत्पादन अधिक होगा। देश की प्रजा सुरक्षित तथा किसान खुशहाल होगा। राजनीति और सत्ता सुखों में बढ़ोतरी के साथ ही देश की लालफीताशाही भी मौज में रहेगी तथा विलासिताओं के लिए धनार्जन करेगी। दूसरी ओर पतिव्रता स्त्रियों को कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।

आंशिक रूप से देश के समुद्रतटीय राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बंगाल, गुजरात के नगरों में संकटों का सामना करना पड़ सकता है। शास्त्र निर्माता सुखी रहेंगे। अन्य प्रदेशों में सभी प्रकार की भौतिक सुविधाओं से पूर्णता होकर शासकीय तंत्र को भरपूर लाभ होगा, वहीं जंगलों में हिरणों का नाश होगा जबकि गाय-कुत्ते सुखी रहेंगे। प्रौढ़ लोगों को बीमारियों का कष्ट रहेगा। पश्चिम दिशा में संकटों के बादल मँडराएँगे। युद्ध के लक्षण उभरेंगे। प्रजा में उपद्रव की स्थिति रहेगी।

उत्तर दिशा के प्रदेशों व राष्टें में भय व आतंक का माहौल बनेगा। दक्षिण के प्रदेश व राष्ट्र समृद्ध होंगे। पूर्व व उत्तर के कोण अर्थात ईशान कोण में स्थित प्रजा को संकटों से जूझना पड़ेगा। प्रभावित लोगों को नेत्र रोग, अतिसार, ज्वर आदि का प्रकोप रहेगा। ब्राह्मणों की पीड़ाएँ राजतंत्र को दुःखी करेंगी।

सफेद कपड़ा, रुई, कपास, चाँदी, काँसे के भावों में यकायक उछाल आएगा। देश का उत्पादन प्रभावित होगा। कोयला, पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, हीरे के भाव चपेट में आएँगे। जौहरी कष्ट अनुभव करेंगे। बाजारों में मावा, दूध, दही तथा घी के भाव बढ़ेंगे। इनके व्यवसायियों को भी हानि का सामना करना पड़ सकता है। काले रंग की वस्तुओं के भाव बढ़ेंगे। यह संक्रांति व्यापारियों, उद्योगपतियों, कंपनियों, आयात-निर्यात व्यवसायी, विज्ञान शोध से जुड़े लोगों को श्रेष्ठ अवसरों का लाभ दिलाएगी। अखबारी जगत प्रगति की ओर अग्रेषित होगा।

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