पोंगल त्योहार कैसे मनाया जाता है?
तमिलनाडु में पोंगल पारंपरिक रूप से चार दिनों तक मनाया जाता है
Pongal 2024: मकर संक्रांति का ही स्थानीय स्वरूप पोंगल त्योहार का प्रचलन दक्षिण भारत में ज्यादा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार पोंगल पर्व सूर्य के मकर में जाने पर मनाया जाता है। वैसे तो संपूर्ण दक्षिण भारत में ही पोंगल मनाया जाता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रचलन तमिलनाडु में है। रोमन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह 15 जनवरी 2024 सोमवार को मनाया जाएगा। आओ जानते हैं कि इस पर्व को कैसे मनाया जाता है।
कैसे मनाते हैं पोंगल पर्व:-
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तमिलनाडु में पोंगल पारंपरिक रूप से चार दिनों तक मनाया जाता है।
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पहले पोही पोंगल मनाते हैं। पोंगल के पहले अमावस्या को लोग बुरी रीतियों का त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं।
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पोंगल का सबसे महत्वपूर्ण दिन थाई पोंगल के रूप में जाना जाता है।
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थाई पोंगल, पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन है, जिसे संक्रान्ति के रूप में भी मनाते हैं।
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थाई पोंगल से पिछले दिन को भोगी पण्डिगाई के रूप में जाना जाता है।
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इस दिन लोग अनुपयोगी वस्तुओं को त्यागने के लिए अपने घरों में साफ-सफाई करके पुरानी चीजों को एकत्रित कर लेते हैं।
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पोंगल के दिनों में घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है।
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इस दिन खेत में उगी फसल का विशेष भोग सूर्यदेव को लगाया जाता है, जिसे पोंगल कहा जाता है।
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इस दिन प्रातः पांच बजे घर की पुरानी चीजों को घर के बाहर करके जलाया जाता है। त
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त्पश्चात इंद्रदेव का पूजन करते हैं, जिसे मोगी पंडी कहते हैं।
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थाई पोंगल के दूसरे दिन मट्टू पोंगल मनाते हैं।
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इस दिन मवेशियों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है।
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पोंगल के चौथे दिन कानुम पोंगल मनाते हैं। इस दिन पारिवारिक मिलन का समय होता है।