Makar Sankranti: इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को शुभ संयोग में मनाई जाएगी। वहीं मतमतांतर होने के कारण 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति का पर्व भी मानाया जाएगा। सूर्य के अस्त होने के पहले जिस दिन सूर्य राशि बदलते हैं। उसी दिन उसका पर्व मनाया जाता है। इसी के चलते विश्वविजय, निर्णय सागर, चिंताहरण आदि पंचांगों में इस पर्व को 14 जनवरी बताया गया है। उदय तिथि के महत्व के अनुसार 15 जनवरी को लोग संक्रांति का स्नान-दान करेंगे।
यह भी कहा जा रहा है कि इस बार पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यानी शुक्रवार 14 जनवरी 2022 को रात 08.49 मिनट पर सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, अतः मकर-संक्रांति का पुण्यकाल शनिवार, 15 जनवरी 2022 यानी दूसरे दिन 12.49 मिनट तक रहेगा। चूंकि इस बार संक्रांति 14 जनवरी की रात्रि में लग रही है, इसी वजह से ही मकर संक्रांति पर्व शनिवार, 15 जनवरी को ही मान्य रहेगा।
इस दिन का खास महत्व :
1. इस दिन तिल स्नान का खास महत्व है।
2. इस दिन षटतिला कर्म करने का भी खास महत्व है।
3. इस दिन दान करने का भी खासा महत्व है।
तिल स्नान : इस दिन तिल को कूटकर उसका उबटन शरीर पर लगाएं और संपूर्ण शरीर पर तिल को मलें। इसके बाद स्नान कर लें या इस दिन जल में काले तिल डालकर उन्हें कुछ समय के लिए जल में ही रखें और उसके बाद उस जल से स्नान कर लें। आपके घर में गंगाजल होगा या किसी तीर्थ का जल होगा तो उसे अपने स्नान करने के जल में थोड़ा सा मिलाकर स्नान कर लें। यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध, दही से स्नान करें। जल में तिल जरूर मिलाएं। स्नान करते हुए यह मंत्र भी बोलें, गंगे, च यमुने, चैव गोदावरी, सरस्वति, नर्मदे, सिंधु, कावेरि, जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
तिल स्नान से रोग और बीमारी दूर होती है। वहीं तिल उबटन लगाने से सौंदर्य में निखार आता है और व्यक्ति खूबसूरती पाता है।
षटतिला कर्म : मकर संक्रांति के दिन तिल के 6 प्रयोग बताए गए हैं जिससे षटतिला कर्म कहते हैं। जो यह कर्म करता है उसका भविष्य उज्जवल होता है। षटतिला है (til ke tel ka prayog) - 1. तिल जल से स्नान करना, 2. तिल दान करना, 3. तिल से बना भोजन, 4. जल में तिल अर्पण, 5. तिल से आहुति और 6. तिल का उबटन लगाना। यदि आप गंगा या किसी पवित्र नहीं में स्नान नहीं कर सकेत हैं तो तिल स्नान जरूर करें।
तिलोदक स्नान : इस दिन तिलोदक करते हैं याने पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान कराते हैं। तिलोदक से दुर्भाग्य दूर होता है।