मकर संक्रांति को ही उत्तर भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। मरकर संक्रांति को उत्तर भारत में माघी संक्रांति और खिचड़ी संक्रांति भी कहा जाता है। यह दोनों ही पर्व सूर्य के उत्तरायण होने और फसल उत्सव के पर्व हैं। आओ जानते हैं दोनों ही पर्व की खासियत।
1. पूजा : मकर संक्रांति के दिन सूर्य और विष्णु पूजा का महत्व है जबकि पोंगल के दिन नंदी और गाय पूजा, सूर्य पूजा और लक्ष्मी पूजा का महत्व है।
2. पकवान : मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, तिल गुडड़ के लड्डू खासतौर पर बनाए जाते हैं जबकि पोंगल पर खिचड़ी, नारियल के लड्डू, चावल का हलवा, पोंगलो पोंगल, मीठा पोंगल और वेन पोंगल बनाया जाता है।
3. फसल और पशु : दक्षिण भारतीय पर्व पोंगल पर्व गोवर्धन पूजा, दिवाली और मकर संक्रांति का मिला-जुला रूप है। जबकि मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा के ही महत्व है।
4. नववर्ष : जिस प्रकार उत्तर भारत में नववर्ष की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से होती है उसी प्रकार दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने वाले दिन पोंगल से ही नववर्ष का आरंभ माना जाता है। थाई तमिल पंचांग का पहला माह है जो पोंगल से प्रारंभ होता है।
5. सूर्य का उत्तरायण : दोनों ही त्योहार में सूर्य पू्जा का और सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, सूर्य और विष्णु पूजा का महत्व है तो पोंगल के दिन फसल उत्सव का महत्व है।
6. कथा : मकर संक्रांति की कथा सूर्य के उत्तरायण होने, भागिरथ के गंगा लाने और भीष्म पितामह के द्वारा शरीर त्यागने से जुड़ी है और पोंगल की कथा भगवान शिव के नंदी और फसल से जुड़ी हुई है।