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उपासना और दान का पर्व संक्रांति

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भारती पंडित

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14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसी वजह से इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। यह दिन सूर्य उपासना और दान पुण्य की दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष राहू, गुरु और बुध पहले ही मकर राशि में हैं। सूर्य के आने से यह चतुर्ग्रही योग बन जाएगा। गुरु की सूर्या के साथ युति से गुरु अस्त भी माने जाएँगे। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं जिसे देवताओं का दिन माना जाता है।

इस दिन तिल स्नान का भी महत्व है। तिल और गंगा जल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। स्नान के बाद चंदन, पुष्प, तिल, अक्षत वाले जल से सूर्य को अर्घ्‍य देना चाहिए। इस दिन तिल-गुड़ से बनी वस्तुएँ दान में दी जाती हैं। यह वास्तव में शनि का दान है। चूँकि सूर्य शनि (शत्रु राशि) की राशि में आता है। दान के लिए शुभ समय प्रात: 7.05 से 6.30 तक है।

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर हो उन्हें इस दिन सूर्य की आराधना विशेष फल देती है। ऐसे लोगों को सूर्य यंत्र की पूजा के बाद इसे अपने पास रखना चाहिए। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और कार्य सफल होंगे।

राशियों पर फल - यह संक्रांति मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, धनु और मीन राशियों के लिए शुभ है। कन्या और मकर के लिए सामान्य और कर्क, तुला, वृ‍श्चिक तथा कुंभ के लिए अशुभ रहेगा।

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