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दो दिन मनाई जाएगी संक्रांति

तिथि भेद के कारण बन रही स्थिति

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तिथि भेद होने के कारण दो दिनों तक मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्य उपासना के इस पर्व पर श्रद्घालु पवित्र नदियों, संगमों और तालाबों में स्नान कर दान-पुण्य करेंगे। इस दिन तिल का लड्डू खाने और खिलाने की भी परंपरा है, लिहाजा दो दिनों तक तिल का लड्डू और तिल से बनी वस्तुओं का दान किया जाएगा। इस वर्ष संक्रांति हाथी में सवार होकर निकलेंगे।

हर साल 14 जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष तिथि भेद होने के कारण दो दिनों तक मनाया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह पर्व सूर्यदेव का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मनाया जाता है। यह पर्व देश के सभी भागों में मनाया जाता है।

पंजाब में इसे लोहड़ी, दक्षिण में पोंगल, मप्र में सकरात और यूपी-बिहार में इसे खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। इस वर्ष सूर्यदेव की राशि परिवर्तन को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है। कुछ लोगों का कहना है कि इस वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर सूर्यदेव 14 जनवरी को संध्या 4 बजकर 20 मिनट और 40 सेकेंड में धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

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ऐसे विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि मकर संक्राति का पर्व 15 जनवरी को भी मनाया जाएगा। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को भारतीय मानक समय में शाम 4 बजकर 20 मिनट 48 सेकंड में धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। लिहाजा दो दिनों तक मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों, तालाबों और संगमों में स्नानकर दान-पुण्य करने का विधान है। लिहाजा शुक्रवार और शनिवार को ऐसे पवित्र स्थानों पर स्नान करने वालों भी भीड़ रहेगी।

इस दिन श्रद्घालु ऐसे स्थानों पर स्नान कर अपने पितरों का तर्पण करेंगे और चावल, दाल, तिल, गुड़ आदि का दान करेंगे। इस दिन सभी हिंदू घरों में सुबह चावल, उड़द, तिल आदि मिलाकर खिचड़ी बनाया जाएगा और इसे ही आहार के रूप में ग्रहण किया जाएगा। इसके अलावा इस दिन तिल की लड्डू खाने की विशेष परंपरा है, लिहाजा सभी घरों में तिल का लड्डू बनाकर खाने और खिलाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

राशि पर प्रभाव :- मकर संक्रांति अलग-अलग राशि में अलग-अलग प्रभाव डालेंगे। तुला, धनु, मिथुन और सिंह राशि के जातकों को शुभ फल प्राप्त होगा। वृश्चिक, मीन, वृषभ और कर्क राशि के जातकों के लिए यह अशुभफलदायी है। इसके अलावा संक्रांति के कारण मकर, कुंभ, मेष और कन्या राशि के जातकों को मध्यम फल की प्राप्ति होगी।

संक्रांति का वाहन :- बाबूलाल पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति गज वाहन, गर्दभ उपवाहन, रक्त सस्त्रं, नील उपवस्त्र पहनकर निकल रहे हैं, वहीं लोहे के पात्र में दूध पिते हुए और नर्मदा में स्नान करते हुए धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दौरान संक्रांति हीरे का आभूषण भी धारण करेंगे।

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