अमलनेर (जिला जलगांव महाराष्ट्र)। आज हर व्यक्ति जो भोजन कर रहा है वह हाईब्रिड और मिलावटी है। सबकी थाली में केमिकल वाली सब्जियां हैं। गांव की बीजों की संग्रहकर्ता राहीबाई पोपेरे ने कहा कि बीमारियों से बचना है तो बोने के लिए अधिक से अधिक गावठी-गावरान के बीजों का प्रयोग करना चाहिए। जहरीला और मिलावटी भोजन सभी की थाली से हटा देना चाहिए। वे मंगल ग्रह मंदिर में दर्शन के बाद परिचर्चा में बोल रही थीं।
राहीबाई को अहमदनगर जिले के कोंभाळणे में बिजमाता के नाम से जाना जाता है। केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा है। इस प्रकार नारीशक्ति सम्मान आज तक उनके काम की पहचान है। राहीबाई आज अमलनेर में किसान महिलाओं की सभा का मार्गदर्शन करने आई थीं। फिर उन्होंने मंगल ग्रह मंदिर आकर दर्शन किए।
चर्चा के दौरान उन्होंने आगे कहा, मैं मंगल ग्रह के आशीर्वाद से ही आगे बढ़ रही हूं। भूमाता मेरी देवी हैं। रेत मेरी मां है और प्रकृति मेरी गुरु है। मैं उनकी उपस्थिति में काम कर रही हूं। इस काम को करते हुए लगता है जैसे कि मैं मायके आई हूं।
उन्होंने कहा, समाज में अच्छा काम करने की चाहत थी लेकिन हालात खराब थे। 12 साल की उम्र में शादी हो गई। सफर कठिन था। मन बेचैन था। औपचारिक शिक्षा नहीं, लेकिन खेती में दिलचस्पी होने से बचपन से मेरे पिता ने मुझे खेती करना सिखाया। मैं दूरदराज के इलाके में रहती थी, जहां पानी नहीं था। 20 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ता था।
उन्होंने आगे कहा, जब मैं काम करता थी तो मेरा हमेशा विरोध किया जाता था। मैं चुप रहती, दरमियान मेरा पोता बीमार हो गया। डेढ़ लाख रुपए खर्च हुए। इलाज के लिए पैसे नहीं थे। मैं कह रहा थी कि हाईब्रिड और केमिकल वाले खाने से समस्या हो गई। आखिरकार हमारे घर में गावरान की किस्में आहार में शामिल हो गईं। इस तरह बीमारियां दूर होने लगीं।
राहीबाई ने कहा, पहले लोग मुझ पर हंसते थे, लेकिन मैं अपना काम करती रही। मैंने गावरान किस्म की सब्जियों और कुछ अन्य फसलों को संरक्षित करने, उनके बीजों को इकट्ठा करने का जिम्मा उठाया। अब तक 54 फसलों की 116 किस्मों के गावरान बीज बच गए हैं। वर्तमान में मैं 3 हजार महिलाओं के साथ काम कर रही हूं। महिलाओं को अपने दम पर खड़ा होना चाहिए और खेतों में विभिन्न फसलों की थोड़ी मात्रा का उत्पादन करना चाहिए। उन्हें कृषि में भी शामिल होना चाहिए।
राहीबाई ने मंगल ग्रह सेवा संस्थान के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा, संस्था बहुत अच्छा कार्य कर रही है। मंदिर क्षेत्र प्रकृति के सान्निध्य में स्थित है। सभी सेवादार अच्छा कार्य कर रहे हैं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि यह कार्य अनवरत चलता रहे और स्वरूप निरंतर बढ़ता रहे।