कांग्रेस पार्टी मणिपुर में लगातार तीसरी बार स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आने में कामयाब रही है। कांग्रेस को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई धड़ों में बंटे विपक्ष का भी हाथ रहा है।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के मंगलवार को आए नतीजों में मणिपुर के नतीजे कांग्रेस के लिए राहत की तरह सामने आए, जहां पार्टी को 60 सदस्यीय विधानसभा में अब तक करीब 42 सीटें मिल चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ओकराम इबोबीसिंह ने थूबल सीट से जीत हासिल की, जबकि उनकी पत्नी ओ. लानधोनी देवी खांगाबोक सीट से विजयी रहीं। बीते रविवार को बने 11 राजनीतिक दलों के गठबंधन ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस’ का हिस्सा रही तृणमूल कांग्रेस ने चौंकाते हुए सात सीटें जीत लीं। इसने 48 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। निवर्तमान सदन में तृणमूल का सिर्फ एक सदस्य है।
गठबंधन ने कुल 16 सीटें जीती हैं। ‘मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी’ ने चार, नगा पीपुल्स फ्रंट ने तीन जबकि राकांपा और लोजपा ने एक-एक सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की। राज्य की 19 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली भाजपा खाता भी नहीं खोल सकी।
कुछ दिनों पहले तक ‘सेक्यूलर डेमोक्रेटिक फ्रंट’ में कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी रही भाकपा भी अपना खाता नहीं खोल सकी। भाकपा उम्मीदवार और कृषिमंत्री पी. पारिजात सिंह कांग्रेस उम्मीदवार के. बिरेनसिंह के हाथों पराजित हुए। पारिजातसिंह ने चार दफा लामलाई सीट की नुमाइंदगी की थी। भाकपा ने 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वनमंत्री टी. देबेंद्रसिंह ने जिरीबम से जीत हासिल की। समाज कल्याण मंत्री एन. लॉरेन ने नांबोल सीट पर पूर्व केंद्रीय खेलमंत्री और एमपीपी उम्मीदवार टी. चाओबा सिंह को मात दी।
कांग्रेस के दो मंत्रियों, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अलाउद्दीन खान अपनी किराओ सीट और शिक्षा मंत्री डीडी तायसी अपनी कारोंग सीट नहीं बचा सके। (भाषा)