इंफाल। मणिपुर में भी अन्य कई राज्यों की तरह चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए उनके मुस्लिम वोट बैंक का महत्व रहता है। मणिपुर में मुस्लिम समुदाय राज्य के कुल मतदाताओं का करीब 9 प्रतिशत है।
करीब 12 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय रूप से 'पंगल' या 'मैती पंगल' कहे जाने वाले ये मुस्लिम समुदाय के सदस्य नतीजों में काफी उलटफेर ला सकते हैं।
करीब 3-4 सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक का सीधा बोलबाला और 7-8 सीटों पर प्रमुख कारक बनने की उनकी क्षमता सभी राजनीतिक दलों को उनकी ओर ध्यान देने को मजबूर करती है। समुदाय ने कई प्रमुख नेता दिए हैं और 1970 के दशक में इस समुदाय से एक मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
पारंपरिक तौर पर मुस्लिम समुदाय या तो कांग्रेस या मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) के पक्ष में रहा है। इस चुनाव में एमपीपी ने जहां केवल अपने 3 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं, वहीं कांग्रेस खासकर घाटी के क्षेत्र में मुस्लिम मतों के बल पर जीत दर्ज करने की उम्मीद रखती है। इन क्षेत्रों में कांग्रेस की भाजपा के साथ सीधी टक्कर है।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष टीएन हाओकिप ने कहा कि मुस्लिमों ने हमेशा हमें मत दिया है। पिछली बार हमारे 3 मुस्लिम उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था। राज्य सरकार ने राज्य में मुस्लिमों के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2006 में राज्य में सरकारी नौकरियों में मुस्लिम समुदाय के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। समुदाय के सदस्यों के बीच उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कांग्रेस सरकार ने कई कदम भी उठाए। (भाषा)