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दुनिया को अपने घर और परिवार जैसा ही समझती हैं। इसी सोच के साथ वे घर से बाहर कदम भी रखती हैं, उन्हें लगता है जैसी वे घर में रहतीं, पहनतीं, आचरण करती हैं, वही बाहर भी कर सकती हैं, पर असल में उन्हें कुछ बिंदुओं पर सावधानी रखनी चाहिए। आइए जानें, क्या हैं ये बिंदु-
* शालीन और गरिमामय पहनावे को तरजीह दें। शालीन वस्त्र हमेशा आपके सम्मान को बढ़ाएँगे ही, साथ ही छींटाकशी के अवसरों को भी नगण्य कर देंगे।
* मुँहबोले रिश्ते बनाने में जल्दबाजी न दिखाएँ। कुत्सित सोच वाले लोग अधिकतर रिश्तों की आड़ में ही दुष्चक्र फैलाते हैं। बहुत मीठा बोलने वाले लोगों से कुछ दूरी बनाए रखें। याद रखिए जो दिखता है, वह हर बार सच नहीं होता।
* घर के बाहर प्रेक्टिकल सोच और प्रोफेशनल व्यवहार को अपनाइए। कार्यालयीन रिश्तों में भी इमोशनल होने से बचें, अपने कर्तव्यों में कोताही न बरतें। ऐसा करने से एक महिला होने के नाते आप सहकर्मियों से सम्मान ही पाएँगी और विकृत मनोवृत्ति के लोग आपसे बुरा व्यवहार करने की हिमाकत नहीं कर पाएँगे।
* यदि आपके संपर्क में आने वाला व्यक्ति चाहे वह आपका सहकर्मी हो, व्यापार से संबंधित हो, परिचित हो या फिर रिश्तेदार ही क्यों न हो, कभी कोई अनचाहा व्यवहार करने की चेष्टा करे, कोई द्विअर्थी टिप्पणी करे, अश्लील भावभंगिमा बनाए तब चुप रहने की बजाय उसका पुरजोर विरोध कीजिए और जता दीजिए कि उसका ऐसा बर्ताव सहन नहीं किया जाएगा। तभी आप भविष्य में दुर्व्यवहार को टाल सकती हैं।
* पारिवारिक फंक्शन, शादियों में बच्चों खासकर नन्ही बालिकाओं को किसी परिचित के भरोसे न छोड़ें। बच्ची यदि आपके किसी निकट रिश्तेदार के ही किसी अनचाहे व्यवहार, टिप्पणी के बारे में आपको बताना चाहे तो उसे झिड़के नहीं, उसकी बात पर गौर करें। उसे अकेला न छोड़ें भले ही आपको फंक्शन की रस्मों का आनंद लेने में अवरोध आए। बच्ची की सुरक्षा आपका पहला फर्ज है।
* महिलाएँ पारिवारिक रिश्तों की डोर को कभी भी कमजोर न पड़ने दें। पारिवारिक रिश्तों में विघटन झेलती हुई महिलाएँ आसानी से इमोशनली ब्लैकमेलिंग का शिकार हो जाती हैं। तब सहयोग के लिए बढ़े हाथ भविष्य में कुछ और ही हथियाने की मंशा लिए उस महिला के जीवन में प्रवेश कर जाते हैं।
* अपनी बड़ी होती, स्कूल-कॉलेज जाती हुई बेटियों से हमेशा दोस्ताना संबंध बनाएँ। उसकी छोटी से छोटी बात सुनें, नजरअंदाज न करें। आपकी परवाहभरी परवरिश में वह दुनियादारी की कई बातें घर में ही सीख जाएगी और समय आने पर अच्छे-बुरे में फर्क भी कर पाएगी। उसे आत्मविश्वासी बनाएँ। अपने अनुभवों से सीख दें और लोगों को पहचानना सिखाएँ।
* महिलाएँ यदि मजबूत बनें, सुदृढ़ विचार शक्ति को अपनाएँ, पारिवारिक संबंध और दूसरी महिलाओं से भी आपसी संबंध मजबूत बनाएँ तो अनेक अनचाही चीजों को विदा कर सकती हैं और परिवार तथा समाज में भी गरिमामय खुशहाल जीवन जी सकती हैं।