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मेरा नाम करेगी रोशन

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मिसेज शर्मा बधाई हो आप माँ बनने वाली हैं। दोनों पति-पत्नी (कविता और पंकज) बहुत खुश हैं। दोनों साथ बैठकर ‍सोचते हैं बच्चे का नाम क्या होगा। पंकज तो लड़के का नाम बताते रहते लेकिन कविता यदि मजाक में भी लड़की का नाम कह देतीं तो उनका मूड उखड़ जाता। कहते देख लेना, बेटा ही होगा। तुम्हें तो घर के वंश की चिंता ही नहीं है। माँ के सामने तो कभी भूलकर भी मत कह देना नहीं तो तुम्हारा जीना हराम कर देंगी।

आखिर वह दिन भी आया। कविता ने सुंदर कन्या को जन्म दिया। पंकज की माँ तो बच्ची को देखने अस्पताल ही नहीं गई। क्योंकि उनकी तो हार्दिक इच्छा पोते को गोद में खिलाने की थी और पंकज भी उनकी हाँ में हाँ मिला देता था।

बेटी का नाम रखा वाहिनी। जब पंकज ने आसपास रहने वाले परिवारों की लड़कियों और लड़कों में तुलना की तो देखा लड़कियाँ तो घर का नाम रोशन कर रही हैं। पढ़ाई के साथ-साथ घर का भी काम करती हैं। कई तरह के स्कूल में प्राइज मिल रहे हैं। टॉप रैंक में आ रही हैं। जबकि लड़के हैं कि आवारागर्दी में मशगूल हैं। पढ़ाई-लिखाई से दूर-दूर तक वास्ता नहीं। बड़े होने पर किसी को पुलिस ढूँढ रही है।

रात को देर से घर आना नियम बन गया है। परिजन पूछते हैं कहाँ रहते हो इतनी देर। तो बड़ी शान से कहते हैं नाइट क्लब गए थे और रोज-रोज हमसे मत पूछा करो कहाँ गए थे। हमें इसका हिसाब देना अच्छा नहीं लगता। आपत्ति जताने पर कहते हैं बुराई ही क्या है क्लब जाने में। 21वीं सदी है। आजकल के युवा क्लब नहीं जाएँगे तो क्या कथा सुनने जाएँगे।

अब बात पंकज के समझ में भी आ गई कि ठीक ही तो है ऐसे बेटों से तो बेटियाँ लाख गुना अच्छी। उन्होंने उस दिन फैसला किया बेटी को खूब पढ़ा-लिखाकर अच्छे घर में इसकी शादी करूँगा तो दुनिया चाहेगी कि भई बेटे से पहले तो मुझे भबेटी चाहिए ‍जोकि शर्मा जी की बेटी जैसी हो।

शुरू से उसकी शिक्षा एक अच्छे स्कूल में कराने के बाद बढ़िया से कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया। वाहिनी मम्मी के साथ घर के काम में भी हाथ बँटाती और पढ़ाई भी करती। ग्रेजुएशन क्लियर करने के साथ ही बेंगलुरू की आईटी कंपनी के लिए इंटरव्यू भी दिया। उसमें वाहिनी का चयन हो गया। 2 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद 5 लाख रुपए का पैकेज मिला था।

पड़ोस में रहने वाली चाची को जब इस बात की खबर ‍लगी तो बहुत खुश हुईं और घर में बैठी सब्जी काट रही वाहिनी की दादी से लिपटकर उन्हें बधाई देने लगी। दादी बोली तुम्हारे यहाँ क्या छोरा हो गया है जो बधाई दे रही है। चाची बोली अरे गोली मारो ऐसे छोरन को। मैं कॉलेज गई थी तब प्रिंसिपल साहब ने बताया कि अपनी वाहिनी‍ बिटिया का चयन आईटी कंपनी के लिए हो गया है। कॉलेज की 1000 लड़कियों में से केवल 7 को चुना गया जिनमें से हमारी वाहिनी एक है।

तो उससे क्या होवे है। क्या परिवार का वंश चलेगा। वंश तो छोरे से ही चले है ना? चाची को गुस्सा आया और दादी को खूब खरी-खोटी सुनाई। यदि ऐसा था तो तुम्हारे माता-पिता ने क्यों नहीं पैदहोततुम्हारगला घोंट दिया। तुम भी तो लड़की थीं और क्यों वाहिनी की माँ को अपने घर की बहू बनाया वह भी तो लड़की थी।

अब दादी की समझ में बात आई और अपने आपमें बहुत शर्मिंदा हुईं। बेटी को आते ही गले लगाकर रो पड़ीं और बोली बेटा क्या नाम रोशन करता, मेरी बेटी ने कर दिया नाम रोशन।

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