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अगर आप भी बच्चे के बढ़ते वज़न से हैं परेशान तो हो जाइये सावधान, इन बीमारियों का हो सकता है खतरा

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (11:55 IST)
Childhood Obesity

Childhood Obesity : आजकल हर दिन बच्चों में मोटापा एक सामान्य समस्या बन गई है। कई माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चे अस्वस्थ हो रहे हैं और उनका वजन लगातार बढ़ रहा है। बच्चों में मोटापे का बढ़ना न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक विकास पर भी प्रभाव डालता है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों में मोटापे के क्या कारण हैं, इसके संभावित नुकसान क्या हो सकते हैं, और इससे बचाव के आसान तरीके।

बच्चों में बढ़ता मोटापा: एक गंभीर समस्या
बच्चों में मोटापा एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह न केवल बच्चों के वर्तमान स्वास्थ्य पर बल्कि उनके भविष्य पर भी असर डालता है। ऐसे बच्चे जो बचपन में मोटापे से ग्रस्त होते हैं, वे बड़े होकर भी स्वास्थ्य समस्याओं से घिरे रह सकते हैं।
बच्चों में मोटापा बढ़ने से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसका सही समय पर उपाय करके माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य स्वस्थ बना सकते हैं।

 
बच्चों में मोटापे के प्रमुख कारण
1. असंतुलित खानपान
बच्चों में मोटापे का एक मुख्य कारण असंतुलित खानपान है। जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, तली-भुनी चीजें आदि बच्चों को बहुत आकर्षित करती हैं, लेकिन ये सभी चीजें शरीर में अतिरिक्त कैलोरी का कारण बनती हैं।

2. शारीरिक गतिविधि की कमी
आज के दौर में बच्चे खेलकूद के बजाय फोन, टीवी और कंप्यूटर में अधिक व्यस्त रहते हैं। इससे उनका शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा कम हो जाता है, जो मोटापे का कारण बनता है।

3. स्क्रीन टाइम का बढ़ना
बच्चों का ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताना उनके वजन को बढ़ाता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम का मतलब है कम शारीरिक गतिविधि और ज्यादा जंक फूड का सेवन।

मोटापा केवल बच्चों की फिजिकल हेल्थ पर ही असर नहीं डालता। अधिक वजन की वजह से बच्चों में मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का रिस्क (risk of mental disorders) भी बढ़ जाता है। साथ ही ग्लूकोज इंटॉलरेंस (glucose intolerance) और रेस्परेटरी प्रॉब्लम्स (respiratory problems) का खतरा भी अधिक होता है।

बच्चों में मोटापा बढ़ाता है इन बीमारियों का रिस्क
मोटापे के कारण बच्चों को साइकोसोशल चुनौतियों से भी जूझना पड़ सकता है। मोटापे के कारण आत्मविश्वास की कमी, डिप्रेशन और लोगों से मिलने-जुलने से कतराने जैसी आदतें देखी जा सकती है। इसके अलावा बचपन में मोटापे का शिकार बच्चों में बड़े होने के बाद इन बीमारियों का रिस्क भी अधिक होता है-

  • कार्डियोवैस्कुलर डिजिजेज (cardiovascular disease)
  • टाइप 2 डायबिटीज(type 2 diabetes)
  • कैंसर (cancers)
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बच्चों में मोटापे के संभावित नुकसान
1. शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
बच्चों में मोटापा शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इससे हृदय रोग, मधुमेह, और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

2. मानसिक और सामाजिक समस्याएं
मोटापे के कारण बच्चे समाज में अलग महसूस कर सकते हैं, जिससे उनमें आत्मविश्वास की कमी और तनाव बढ़ सकता है। इससे बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

बच्चों में मोटापा रोकने के उपाय
1. संतुलित आहार
बच्चों को संतुलित आहार दें, जिसमें हरी सब्जियां, फल, और अनाज शामिल हों। इससे उनका शरीर स्वस्थ रहेगा और उनका वजन नियंत्रित रहेगा।

2. नियमित व्यायाम
बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें। उन्हें खेलकूद के लिए प्रेरित करें, ताकि उनका शरीर स्वस्थ और सक्रिय रहे।

3. स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें
बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें। उन्हें आउटडोर एक्टिविटी में समय बिताने के लिए प्रेरित करें।

बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए करें ये उपाय (How to prevent obesity in children )
क्या ना खिलाएं:
मोटापे से बचाने के लिए बच्चों को अनहेल्दी पैकेटबंद खाद्य पदार्थ  खिलाना बंद करें। पैकेटबंद चिप्स, बिस्किट्स और स्नैक्स में मौजूद ट्रांस्फैट मोटापा बढाता है।

क्या खिलाएं:
बच्चों को सीजनल फ्रूट्स, सब्जियां, साबुत अनाज और घर का बना पौष्टिक और ताज़ा खाना खिलाएं।

फिजिकली एक्टिव बनाएं:
बच्चों को घर के बाहर जाकर खेलने-कूदने के लिए मोटिवेट करें। उन्हें फिजिकली एक्टिव रहने में मदद करें। फिजिकली एक्टिव बच्चों में फैट डिपोजिट नहीं होता।

स्क्रीन टाइम कम करें:
बच्चों में मोबाइल फोन, टीवी और गैजेट्स देखने की आदत उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रही है। इससे मोटापे का खतरा भी बढ़ता है। इसीलिए अपने बच्चों को टीवी और फोन लिमिट में देखने दें।

अच्छी नींद:
बच्चों की मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने और उनकी अच्छी ग्रोथ के लिए नींद की भी जरूरत होती है। बच्चों को रोजाना 7-8 घंटे सोने चाहिए। गहरी नींद से होर्मोन्स संतुलित रहते हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 


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