प्रेग्नेंसी में देरी होने से बच्चे का विकास उचित रूप से नहीं हो पाता है। इसी से बच्चों में सामान्यतः टर्नर सिंड्रोम की समस्या देखी जाती है, जिसमें बच्चों में एबनार्मलिटी होती है और सामान्य बच्चों की तुलना में उसका आइक्यू बहुत कम होता है। इसके अलावा कई अंगों का पूरी तरह विकास नहीं हो पाता है। ज्वाइंट में छेद, हाथ में बॉल्स फंक्शन नहीं करते और बच्चे का वजन भी कम होता है।
बच्चे का उचित विकास हो रहा है या नहीं इसकी जानकारी के लिए 18 हफ्तों में होने वाला टारगेट स्केन अनिवार्य रूप से कराना चाहिए।
खान-पान पर दें विशेष ध्यान - प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को विटामिन, प्रोटीन, आयरन रिच भोजन लेना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, फल, जूस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। ऐसे समय में फास्ट फूड, आइली, स्पाइसी फूड अवाइड करना चाहिए।
इस दौरान फोलिक एसिड, डीएचए टेबलेट भी अनिवार्य रूप से लेना चाहिए। अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी में महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे समय में थाइराइड, ब्लडप्रेशर, शुगर का रेग्युलर चेकअप कराते रहें।
बच्चे के डेवलपमेंट की जानकारी के लिए समय-समय पर सोनोग्राफी अवश्य कराएं। कोई भी समस्या आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इस दौरान जितना हो सके ज्यादा दूरी के सफर से बचना चाहिए।