छोटे बच्चों को कोई भी चीज व काम सीखने-समझने में वक्त लगता है, क्योंकि सभी चीजें उनके लिए नई होती हैं। माता-पिता को बच्चों की हर एक गतिविधि, हरकत व व्यवहार पर गौर करना चाहिए, तभी आप पता लगा पाएंगे कि आपका बच्चा टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त तो नहीं है?
बच्चों में टूरेट सिंड्रोम आमतौर पर 2 से 14 साल की उम्र में होता है। इसका कोई स्थाई उपचार नहीं होता, लेकिन इसका पता लगने पर इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। जो बच्चे इसके शिकार होते हैं, उनका व्यवहार थोड़ा असामान्य होता है। आइए, जानते हैं टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे कैसे संकेत देते हैं-
1. टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों की शारीरिक हरकतें कुछ अलग होती हैं, जैसे वे बार-बार और लगातार पलक झपकाते हैं, बाहों को हिलाते हैं या होंठों को हिलाते हैं।
2. सामान्य बच्चे आमतौर पर चंचल होते हैं और कूद-फांद करते रहते हैं, लेकिन टूरेट सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को चलने, दौड़ने, सीधा बैठने आदि में समस्या आती है।
3. सामान्य बच्चे कभी-कभी गुस्सा करते हैं और अपना आपा पूरी तरह से नहीं खोते हैं। वहीं इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे बहुत अधिक गुस्सा होते हैं और अपना आपा खो देते हैं। यहां तक कि अर्थहीन और गलत शब्दों का प्रयोग सार्वजनिक स्थानों पर कर सकते हैं।
4. टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे गुस्से में खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
5. ये बच्चे मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, इन्हें मूड स्विंग बहुत होते हैं, जिससे ये खुद भी तनावग्रस्त रहते हैं।
* यदि बच्चे में इस तरह के लक्षण दिखें, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।