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खाने में जबरदस्ती अच्छी नहीं

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आजकल के बच्चे खेलकूद में तो आगे रहते हैं परंतु खान-पान के मामले में हमेशा नौटंकी करते हैं। अक्सर बच्चों को अपनी इस आदत के कारण मंमी की डॉट-फटकार भी सुनना पड़ती है। यदि आपका बच्चा भी खाने के मामले में बहानेबाजी करता है आपको इन बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है -

* इस तथ्य को जानिए कि एक साल के बाद बच्चे का वजन सालभर में मात्र आधे किलो से दो किलो बढ़ता है, जबकि एक साल के पहले बच्चे का वजन जन्म के वजन से तीन गुना बढ़ता है। उसी तरह बच्चे को एक साल के बाद कैलोरी की जरूरत भी काफी कम हो जाती है।

* सालभर के बाद बच्चे को 1000-1300 कैलोरी प्रतिदिन की जरूरत ही रहती है। यदि बच्चे का वजन बराबर बढ़ रहा है एवं उसका शारीरिक एवं मानसिक विकास बराबर हो रहा हो तो खाने के लिए परेशान मत होइए।

* जहाँ तक सवाल सिर्फ गिनी-चुनी चीजें ही खाने का है तो ऐसे बच्चों को आप अपनी समझदारी एवं धैर्य से धीरे-धीरे खाना खाना सिखा सकती हैं।

* बच्चों के सामने सिर्फ "हैल्दी फूड" ही प्रस्तुत करें। बच्चों को जरूर मौका दें कि वे इनमें से अपनी पसंद का फूड खा सकें। कुछ इसी तरह के "हैल्दी फूड" हैं- फल, हरी सब्जी, दही, दूध, पनीर, अंडा, मूँगफली, गुड़, फिश, चावल, पीस्ता, बादाम, काजू आदि।

* नया खिलाने के लिए धैर्य का परिचय दें- जरूरी नहीं है कि बच्चा आपकी इच्छानुसार नया भोज्य पदार्थ अच्छे से ग्रहण कर लेगा। कोशिश करते रहें, संभव है कि बच्चा जल्द ही नए स्वाद को पसंद करने लगेगा।

* बच्चे को भूख लगने दें- बच्चे को तभी खाने के लिए कहें, जब वह भूखा हो। इससे उसकी भोजन में रुचि बनी रहेगी।

* प्रस्तुतिकरण को रोचक बनाएँ- जितना ध्यान आप बच्चे के "फूड" पर देते हैं उतना ही उसके प्रस्तुतिकरण पर भी दें। उसके सलाद को आप अलग-अलग शेप दे सकते हैं।

* अधिक उम्मीद न करें- 2 साल के बाद शारीरिक विकास के धीमे होने के साथ भूख भी कम हो जाती है। अतः बच्चे से अधिक खाने की उम्मीद बेमानी है।

* "प्लेट क्लीन" की जिद छोड़ें- बच्चे से यह उम्मीद न करें कि वो अपनी प्लेट का पूरा भोजन समाप्त करे। उसे अपनी भूख के अनुसार भोजन करने दें।

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