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ट्यूशन बच्चों की जरूरत या मजबूरी

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- प्रभा राठौड़

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आजकल एल.के.जी और यू.के.जी में पढ़ने वाले बच्चों को भी ट्यूशन की जरूरत पड़ने लगी है। बड़ी क्लास के बच्चों के लिए तो यह ठीक है, लेकिन नर्सरी और कम उम्र के छोटे बच्चों के लिए यह परेशानी वाली बात है।

बच्चों के लिए किसी अच्छे ट्यूटर की तलाश करना और फिर बच्चों को उसके पास पढ़ने जाने के लिए तैयार करना वाकई बहुत मुश्किल काम होता है। बच्चों को ट्यूटर के पास भेजते समय कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

* जहाँ तक संभव हो बच्चों को ट्यूशन की आदत न डालें। बच्चों को स्वयं ही घर पर पढ़ाएँ एवं उनका होमवर्क करवाएँ। उनसे रोज पूछें कि उन्हें स्कूल में टीचर ने क्या पढ़ाया? पूछकर उनसे पढ़ने को कहें।

* बच्चों को किसी भी ट्यूटर के पास भेजने से पहले ट्यूटर के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।

* बच्चे जब भी ट्यूशन पढ़कर आएँ उनसे ट्यूटर के व्यवहार के बारे जरूर पूछें। वह किस तरह उन्हें पढ़ा रहा है और बच्चों को उसका पढ़ाया समझ में आता है या नहीं? पूरी तरह से ट्यूटर पर ही निर्भर न रहें खुद भी बच्चों पर ध्यान दें।

* समय-समय पर बच्चों के ट्यूटर से मिलते रहें। उसके लगातार संपर्क में रहने से आपके बच्चे का फायदा तो होगा ही साथ ही आपको अपने बच्चे के व्यवहार एवं उसकी अन्य गतिविधियों के बारे में भी पता रहेगा।

* बच्चे की ट्यूटर से संबंधित किसी भी समस्या को नजरअंदाज न करें। बच्चे के अन्य सहपाठियों से मिलकर उसके बारे में जानने की कोशिश करें। हो सकता है वह परेशानी सिर्फ आपके बच्चे की ही नहीं, दूसरे की भी हो।

* बच्चा यदि उस ट्यूटर से पढ़ना न चाहे तो उसके साथ जबरदस्ती न करें। हो सकता है उसे उसका पढ़ाया समझ में नहीं आता हो या उसकी इच्छा किसी ओर से पढ़ने की हो। ऐसी स्थिति में उसके लिए किसी दूसरे ट्यूटर की तलाश करें।

* कई माता-पिता बच्चे को ट्यूशन की जरूरत न होने पर भी भेजते हैं। ट्यूशन आजकल एक तरह का फैशन बन गया है।

* यदि आपका बच्चा होशियार है और उसे ट्यूशन की जरूरत नहीं है तो उसे अपनी योग्यता और मेहनत से पढ़ने दें। यदि आपका बच्चा बिना ट्यूशन के ही अच्छे नंबर से पास होता है तो यह बहुत प्रशंसनीय है।

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