अपने बच्चों को सभी बड़ों का सम्मान करना सिखाएँ। गुरु को आदर देना सिखाएँ, आज्ञाकारी बनने की राह प्रशस्त करें। उसे यशस्वी, अच्छा भावी नागरिक और हरदिल अजीज बनाएँ।
याद रखिए बच्चा आपसे ही जीवन के मूल्यों को जानेगा। उसका हर अच्छा काम आपका ही नाम रोशन करेगा और गलत काम सबको आपकी ओर उँगली उठाने का मौका देगा। अक्सर आपने सुना होगा कि फलाँ बच्चे ने यह गलत काम किया तो माँ-बाप भी वैसे ही होंगे। इस तरह बच्चे अपने कामों से ही अपने अभिभावकों को रिप्रजेन्ट करते हैं।
अतः जरूरी है कि बच्चों में सद्गुण, नैतिकता, आत्मसम्मान, प्रेम, आदर और धीरज जैसे गुणों का समावेश करें। फिर आप गर्व से कह सकेंगे, हाँ ये मेरा बच्चा है। तब वे भी यही बात आपके बारे में शान से कहेंगे।
चूँकि अभिभावक के रूप में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, फिर बच्चे हमें देखकर ही हर बात सीखते हैं। अतः आज हमें लगातार श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होते रहना चाहिए निरंतर। यहाँ यह भी एक तथ्य है कि प्रत्यक्ष व्यवहार से बच्चे ज्यादा ग्रहण करते हैं बजाए मौखिक शिक्षा के।
हमेशा यह बात जेहन में रखिए कि मारपीट, रोक-टोक, ताने या ज्यादा बंधन बच्चों को बागी बनाते हैं। उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर करते हैं। वे फिर बड़ों से कोई बात शेयर नहीं करते। उन्हें पता होता है कि हमें सम्मान या सुझाव न देकर दुत्कारा जाएगा। अगर वे गलती करें भी तो उन्हें माफ करके आगे का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए। ठीक इसी तरह बड़ों के झगड़ों में भी बच्चों को बीच में लाने से बचना चाहिए।