घर में नए मेहमान का आना सबसे बड़ी खुशी का मौका होता है। जहाँ माँ को यह पूर्णता का एहसास कराता है, वहीं पुरुष के लिए पिता बनना सबसे गर्व की बात होती है। गर्भ में बच्चे के आने के बाद रोज ही कुछ न कुछ बदलाव आते हैं और पूरे नौ महीने के लंबे इंतजार के बाद आपके दिल का टुकड़ा, आपका चाँद, आपका अपना बच्चा आपकी गोद में खिलखिलाता है।
बच्चे के पैदा होने के बाद के हर पल को आप देखते हैं। संभव होता है तो उसकी आर्काइव बनाते हैं, लेकिन पैदा होने के पहले नौ महीने में भी उसकी चंचलता और ‘बदमाशियाँ’ कम नहीं होती हैं, जिसे हर गर्भवती माँ महसूस कर सकती है। इन नौ महीनों में बच्चे में क्या बदलाव आते हैं, इस बारे में हर माँ को पता नहीं होता है। पिता तो इसे महसूस भी नहीं कर सकता। इस चैनल में हम आज बच्चे के गर्भकाल में होने वाले परिवर्तनों के बारे में बात करें रहे हैं। आइए जानते हैं -
पहला महीना -
बच्चे ने अपने विकास की यात्रा शुरू कर दी है। गर्भ में निषेचित अंडों का विकास होने लगा है। अंडाणु के बाहरी आवरण ने प्लेसेंटा (नाल) का निर्माण शुरू कर दिया है। वहीं इसके भीतरी आवरण का भी विकास हो रहा है। अभी आपका बच्चा कुछ सेंटीमीटर का है, चावल के दाने जितना और आपके गर्भ में निश्चिंत होकर आराम फरमा रहा है, क्योंकि उसकी फिक्र करने के लिए आप हैं ना।
दूसरा महीना -
अब बच्चा दो महीने का हो गया है। उसके शरीर बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शरीर के जरूरी और महत्वपूर्ण अंग बनने लगे हैं। आँख के बड़े वाल्ब बनने लगे हैं और कान भी बनने शुरू होने लगे हैं। दिल भी धड़कता है। चेहरा भी आकार में आने लगा है। कुछ लोग कहते हैं कि माँ इस समय जिसके बारे में सबसे ज्यादा ख्याल करती है, बच्चा भी वैसा आकार लेता है। ऐसे समय में माँ को अच्छी किताबें, संगीत, अच्छा भोजन और अच्छी फिल्म देखनी चाहिए। सब कुछ अच्छा होगा तो बच्चे के संस्कार भी तो अच्छे होंगे। छठे सप्ताह से ही बच्चे का दिल धड़कने लगता है। सुन रही हैं न आप उसकी धड़कनों को।
तीसरा महीना -
अब आपका बच्चा जन्म लेने के लिए तैयारी शुरू करने वाला है। जिस तरह आप अपने बच्चे का इंतजार कर रही हैं, वैसी ही बेताबी आपके शाहजादे या आपकी परी को भी आपसे मिलने की है। 12 सप्ताह में बच्चे का दिल, सिर के साथ अन्य अंग बनने लगे हैं। इससे पहले के तीन महीने में भ्रूण का विकास होता है, लेकिन गर्भ ठहरने के लक्षण तीसरे महीने से मालूम होने लगते हैं। बच्चा अब तीन इंच का हो गया है।
चौथा महीना - |
वो अपना अँगूठा चूसता है और तो और कभी-कभी अपने पैर के अँगूठे को भी मुँह तक लाकर चूसता है। बच्चे के शरीर पर रोएं और सिर पर हल्के बाल आने लगे हैं। बच्चे के संवेदी अंग विकसित हो रहे हैं। पाँचवे महीने के अंत तक उसके अंदरूनी कान भी विकसित हो जाएँगे। |
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तीसरा महीना पूरा हो गया है। बच्चे ने अपने शरीर का पूरा आकार ले लिया है। उसका सिर अभी पूरे शरीर के मुकाबले काफी बड़ा है। वह अब अपने पापा की सिर्फ हथेली पर भी आराम से सो सकता है। बच्चे के सभी अंग विकसित होने लगे हैं और थोड़ा मूवमेंट भी करने लगे हैं। पाँचवे महीने के बाद से तो पेट में भीतर रहने की बजाय गोद में आने की जिद करने लगेगा आपका बच्चा। बच्चे की माँसपेशियाँ बनने लगी हैं। उसने साँस लेना शुरू कर दिया है और हवा के एक गुब्बारे से वह साँस लेने में मदद ले रहा है। बच्चे की आँख की पुतलियाँ और भौंह बनने लगे हैं। मसूढे़ का भी विकास हो रहा है। पहले की अपेक्षा अँगुलियाँ अब ज्यादा स्पष्ट होने लगी हैं।
पाँचवाँ महीना -
पाँचवें महीने में बच्चा काफी एक्टिव हो गया है और अब उसमें बदलाव महसूस भी किए जा सकते हैं। बच्चा आपके बर्ताव पर आपत्ति भी दर्ज कराता है और आपसे बात भी करने की कोशिश कर रहा है। वो अपना अँगूठा चूसता है और तो और कभी-कभी अपने पैर के अँगूठे को भी मुँह तक लाकर चूसता है। बच्चे के शरीर पर रोएं और सिर पर हल्के बाल आने लगे हैं। बच्चे के संवेदी अंग विकसित हो रहे हैं। पाँचवे महीने के अंत तक उसके अंदरूनी कान भी विकसित हो जाएँगे। अभी वो करीब एक फुट का हो गया है।
छठवाँ महीना --
बच्चा अब बड़ा हो रहा है। उसके अंग पूरे आकार में विकसित हो रहे हैं और त्वचा कुछ सिकुड़ी हुई सी है और लाल है, जो आपके स्पर्श से कोमल और स्निग्ध हो जाएगी। अब वो अपनी मासूम और सजग आँखें भी खोलने लगा है। बच्चे के शरीर में हड्डियों का विकास होने लगा है, जो उसकी शारीरिक संरचना तय करेंगी। बच्चे में बाहर आने की छटपटाहट होने लगी है और वो अपने पाँव भी मारने लगा है। इसे आप बखूबी महसूस कर सकती हैं। उसे माँ की गर्भ से बाहर आने के लिए कुछ महीने और इंतजार करना होगा। बच्चे ने जल्दबाजी की तो बाहर आने पर उसे विशेष सुरक्षा में रहना होगा। इस समय माँ को अपने भोजन का खास खयाल रखना होगा। बच्चे को भी भूख लगती है, तो उसके लिए एक अतिरिक्त भोजन करना पड़ेगा।
सातवाँ महीना -
देखते-देखते सातवाँ महीना आ गया। सिर्फ दो महीने बाद आपकी लाडली, आपका ‘सोना’ आपकी गोद में होगा। सातवें महीने में बच्चे का विकास सबसे तेजी से होता है, इसकी शुरुआत छठवें महीने से ही होने लगती है। बच्चे का भरपूर विकास हो गया है और वो गर्भ में पूरा जगह ले चुका है। पहले की तरह उसे हाथ पैर मारने में दिक्कत हो रही है। लेकिन दो और महीने उसे इस स्थिति में रहना होगा। बच्चा लंबा हो गया है और उसका वजन भी बढ़ गया है। उसकी त्वचा मोटी और नरम होने लगी है। अब वह आपके गर्भ में भी स्पर्श को महसूस कर सकता है और आपकी आवाज को सुन सकता है। बच्चा एक फुट से थोड़ा बड़ा हो चुका है।
आठवाँ महीना -
इस समय बच्चे का लगभग पूरा विकास हो चुका है, लेकिन वह पैर मारने और करवट बदलने के लिए तंग गर्भ में भी जगह बना लेता है। उसके मस्तिष्क का तेजी से विकास हो रहा है। फेफड़ों को छोड़कर पूरे अंदरूनी अंगों का तेजी से विकास हो रहा है। अँगुलियों में नाखून आने लगे हैं। बच्चा अब देर तक आँख खोलता है और साँस भी लेता है। माँ की आवाज के साथ ही आसपास की आवाज भी उसे सुनाई देने लगी है।
नौवाँ महीना -
इंतजार की घड़ियाँ खत्म होने वाली हैं। सिर्फ चार सप्ताह में आपकी मन्नत, आपका चिराग आपके घर में किलकारियाँ बिखेरने आ जाएगा।
बच्चे के फेफड़े अब पूरी तरह विकसित हो गए हैं और अपना काम भी करने लगा है। बच्चे के सभी अंग पूरे आकार में आने के साथ ही पूरी तरह से काम करने लगते हैं। उसकी लंबाई करीब डेढ़ फुट की हो गई है और वो किसी भी दिन बाहर आ सकता है। लेकिन आपने एक जरूरी काम तो किया ही नहीं। बच्चे का नाम नहीं सोचा। तो शुरू कीजिए बच्चे का नाम सोचना। बच्चे के नामकरण पर हमें बुलाना नहीं भूलिएगा।