अस्पताल किसी के लिए भी सुंदर और सुखद जगह नहीं होते। जहां तक हो सके, हम सब की यही ख्वाहिश होगी कि खुदा करे अस्पताल के चक्कर न ही लगें। पर हम सब यह भी जानते हैं कि कभी न कभी चक्कर तो लगाना ही पड़ता है। शरीर चीज ही ऐसी है कि कोई न कोई रोग तो लगना है। आपको नहीं तो आपके किसी प्रियजन को। और आपको अस्पताल जाना ही पड़ता है।
एक चीज जो अमेरिका के अस्पतालों में मैंने इधर महसूस की, वह थी अस्पताल के माहौल को अधिक से अधिक आकर्षक और कलात्मक बनाया जाए तो रोगी की हालत में और भी जल्द सुधार आएगा। जहां तक मेरा भारत का अस्पताली अनुभव था, वह सुंदरता और कलात्मकता से कोसों दूर था।
यूं न्यूयॉर्क के अस्पतालों में भी मुझे सुंदर चित्र देखने को मिले तो इस बात पर मेरा ध्यान गया था। यूं ज्यादातर मैंने महान यूरोपीय पेंटिंग्स के इन अस्पतालों में प्रिंट्स ही देखे थे, मूल चित्र बहुत कम।
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पिछले हफ्ते एक करीबी पारिवारिक सदस्य की जांच और इलाज के लिए मुझे मिनिसोटा राज्य के एक छोटे से शहर रोचेस्टर आना पड़ा, जहां का मेयो क्लीनिक अपने कलात्मक झुकावों से मुझे हैरान कर गया। यह अस्पताल 19वीं सदी के एक डॉक्टर मेयो द्वारा शुरू किया गया और डॉक्टर मेयो के दो बेटे विलियम और चार्ली ने पिता के बनाए इस अस्पताल को और भी बड़ा बना दिया। यहां तक कि उन्होंने अपने जीवनकाल में ही इसे निजी के बजाए जन अस्पताल बना दिया। इसका बोर्ड बना और आज तक वैसा ही चल रहा है। अमेरिका के कई प्रेसीडेंट भी इसके बोर्ड में रह चुके हैं।
यह अस्पताल इस समय अमेरिका के तीन सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में है (दूसरे दो में एक क्लीवलैंड और एक टेक्सास में है) और दुनियाभर से असाध्य रोगों के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। एक बात यह भी कह देनी चाहिए कि दूर देशों से लोग यहां इलाज के लिए आते तो हैं, पर ये लोग धनवान ही होते हैं। वरना तो अमेरिका में जिनके पास मेडिकल इंश्योरेंस है वे दूसरे अस्पतालों की ही तरह यहां भी इलाज करवा सकते हैं। चूंकि यहां विदेशों से बहुत से रोगी आते हैं इसलिए इस अस्पताल का अलग से एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र बना हुआ है ताकि बाहर से आने वालों की जरूरतों की ठीक से देखभाल की जा सके। अंतरजाल पर मेयो अस्पताल के बारे में न केवल सूचनाएं हैं बल्कि कई तरह के इलाजों की सूचनाएं या डाइट प्रोग्राम वगैरह की भी सूचना मिलती हैं।
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यह अस्पताल नॉन-प्रॉफिट है और जो भी लाभ प्राप्त होता वह रोगों के ही शोध आदि में लगाया जाता है। इस अस्पताल का शैक्षणिक विभाग भी है और बाकायदा मेडिकल की पढ़ाई में ऊंचा नाम है। पर चूंकि शोध पर बहुत जोर है इसलिए आधुनिक युग के असाध्य रोगों कैंसर, दिल की बीमारियां या डायबिटीज आदि के इलाज में इसका नाम सबसे ऊपर है। दिल के ऑपरेशन में दिल को कृत्रिम रूप से जीवित रखने की पहली मशीन का ईजाद 1957 में इसी अस्पताल में हुआ। कोर्टजोन का ईजाद भी इसी अस्पताल में हुआ। वैज्ञानिक शोध की दुनिया में और भी कई महत्वपूर्ण खोजें होती रही हैं और अभी भी यह संस्थान इस दिशा में कार्यरत है। दुनियाभर से बहुत प्रतिभाशाली डॉक्टर यहां काम करते हैं। कुछ भारतीय डॉक्टरों से भी मिलना हुआ।
यह अस्पताल कई इमारतों में फैला हुआ है। लगभग 60 इमारतें हैं। रोचेस्टर शहर का नाम ही मेयो क्लीनिक से हुआ है वरना यह अपने आप में बहुत छोटा-सा शहर है। अब तो मेयो क्लीनिक की शाखाएं एरिजोना और फ्लोरिडा में खुल गई हैं।
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यहां के लोग, मेयो क्लीनिक में काम करने वाले अपनी इस महान संस्था पर गर्व करते हैं और जब आप मेयो क्लीनिक की मुख्य इमारत में दाखिल होते हैं तो ऐसा नहीं लगता कि किसी अस्पताल में घुस रहे हैं, बल्कि वहां का कलात्मक सौंदर्य ऐसा महसूस कराता है कि जैसे किसी आर्ट गैलरी या पंच सितारा होटल में घुस रहे हों। न ही कोई अस्पताली बदबू मिलती है कहीं। एकदम साफ-सुथरा, मनमोहक और सुंदर माहौल। मैं तो हर ओर फैली हुई कलात्मक कृतियों से अभिभूत थी। कितने ही कलाकारों के मौलिक चित्र, स्कल्प्चर्स तथा अन्य कलाकृतियां। सिर्फ अमेरिका ही नहीं, एशिया, यूरोप, मध्य एशिया आदि के अनेक देशों की कलाकृतियों के नमूने यहां की अलग-अलग मंजिलों की दीवारों को सजाए हुए थे।
सोचती हूं अगर अस्पताल ऐसा हो तो आधी बीमारी तो यूं ही ठीक हो जानी चाहिए। कम से कम रोगी को यह तो नहीं लगेगा कि अभी से वह नरक में पहुंच गया है और शायद उसकी तकलीफ भी कुछ कम हो जाए। कितना भी असाध्य रोग हो, कलात्मक सौंदर्य उसे जीवन के इस सौंदर्य पक्ष को भूलने नहीं देगा। यह भी पता लगा कि यहां इलाज के लिए आने वालों को ज्यादातर सफलता ही मिलती है। कला इंसान के आत्म का उत्थान तो करती ही है, फिर विज्ञान उसका सहायक हो तो असर क्यों न हो?