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गांधी पर एक अनूठी किताब

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-ध्रुव कुमार
गांधीजी का जीवन ही गांधीवाद था। जो सोचा, मनन किया, वह किया। भारी-भरकम दर्शन, विचारधारा तथा वाद से वे हमेशा दूर रहे। उनकी अंतरात्मा ही उनकी पथ-प्रदर्शक थी और कर्म ही प्रयोगशाला।
 
काका साहेब कालेलकर ने कभी कहा था कि संसार की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान गांधी के पास न हो, कोई ऐसा संकट नहीं जिसका हल उनके विचारों से निकाला न जा सके। ध्वंस के कगार पर बैठे विश्व और आपाधापीभरे सामाजिक जीवन के लिए उनके द्वारा प्रयुक्त सत्य और अहिंसा के सिद्धांत संजीवनी हैं। गांधी अक्सर कहा करते थे कि लोग अपने अंदर झांकें और स्वयं को सुधार लें तो समाज, देश और अंत में विश्व अपने आप सुधर जाएगा।
 
वैसे तो महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और उनके दर्शन पर सैकड़ों-हजारों किताबें लिखी जा चुकी हैं और यह सिलसिला आज भी जारी है। पिछले दिनों विश्वप्रसिद्ध ग्राफिक नॉवेल राइटर जेसन क्विन की महात्मा गांधी पर एक पुस्तक अंग्रेजी में प्रकाशित हुई।
 
राजमोहन गांधी की चर्चित पुस्तक ‘मोहनदास : ए ट्रू स्टोरी ऑफ ए मैन, हिज पीपल एंड एन एम्पायर’ से प्रेरित इस पुस्तक का हिन्दी रूपांतर हिन्दी के संजीदा और लोकप्रिय कवि प्रो. अशोक चक्रधर ने किया है।
 
‘गांधी : मेरा जीवन ही मेरा संदेश’ शीर्षक से रूपांतरित यह ग्राफिक नॉवेल ऐसी पुस्तक के रूप में सामने आया है, जो महात्मा गांधी के जीवन और उनके दर्शन पर केंद्रित अब तक लिखी गई तमाम पुस्तकों में सर्वश्रेष्ठ कृति है। आज यदि पूरी दुनिया गांधीवाद की तरफ आशाभरी निगाह से देख रही है तो यह यूं ही नहीं है।
 
कैम्प फायर द्वारा प्रकाशित समीक्ष्य पुस्तक में प्रो. अशोक चक्रधर कई रूपों में दिखते हैं। चूंकि प्रो. चक्रधर स्वयं चर्चित लेखक, चित्रकार, समीक्षक और फिल्मकार भी हैं, तो पुस्तक में उनकी इन प्रतिभाओं के समुच्चय के दर्शन होते हैं।
 
205 पृष्ठों की यह पुस्तक अपनी सरल और सहज भाषा के कारण अनूठी बन गई है। निश्चित तौर पर प्रो. अशोक चक्रधर की भाषायी जादूगरी और संवेदनशील कवि व्यक्तित्व की छाप पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ पर दिखती है। उनकी भाषायी कुशलता और संवादों की जीवंतता पाठकों को शुरू से अंत तक बांधे रखती है।
 
इस ग्राफिक नॉवेल की शुरुआत गांधीजी की हत्या के ठीक पहले तब से शुरू होती है, जब महात्मा गांधी अपने सबसे छोटे बेटे देवदास के परिवार के साथ बातें कर रहे हैं। देवदास बापू से कहता है कि जिस व्यक्ति ने पिछले सप्ताह आपको मारने की कोशिश की थी, वह अकेला नहीं था।
 
देवदास की पत्नी बापू से अनुरोध करती है कि कृपया पुलिस को प्रार्थना सभा के दौरान सुरक्षा का बंदोबस्त करने की अनुमति दें। गांधीजी दोनों के अनुरोध को यह कहकर ठुकरा देते हैं कि प्रार्थना सभा में हथियारबंद पुलिस वालों के लिए कोई जगह नहीं है। 
 
रात लगभग 10 बजे दोनों के जाने के बाद बापू विचार करते हैं कि अच्छा होता कि वे मेरी इतनी ज्यादा चिंता न करते। मृत्यु को तो मित्र समझना चाहिए। जीवन की तरह मृत्यु भी मनुष्य के विकास के लिए जरूरी है।
 
चरखा कातते हुए वे पुनः सोचते हैं- 'मेरी ज़िन्दगी अच्छी ही रही है। भरपूर जीवन जिया।’ यहीं से फ्लैशबैक में गांधीजी स्वयं अपनी जीवन-यात्रा का स्मरण करते हैं। सुंदर चित्रों के माध्यम से उपन्यास आगे बढ़ता है।
 
संवादों में इतनी रोचकता है कि पाठक कथानक से परिचित होने के बावजूद पूरी पुस्तक पढ़े बिना नहीं रह पाता। हिन्दी रूपांतरण के दौरान प्रो. अशोक चक्रधर ने अपने फिल्मकार, लेखक, समीक्षक और कवि-चित्रकार होने के अनुभव को संवादों में पिरोकर पाठकों तक पहुंचाने का सफलतम प्रयास किया है। 
 
जटिल मनोभावों को सरल शब्दों में रूपायित करने में ऐसा लगता है कि प्रो. चक्रधर को महारत हासिल है। संवादों में कहीं-कहीं उनका कवि रूप भी दिखता है। उन्हें विभिन्न संस्थानों और भारत सरकार द्वारा अनेक अवॉर्ड्स से सम्मानित यूं ही नहीं किया गया है। यह उनकी पूर्व की कृतियों में एक नया अध्याय है। 
 
निश्चित तौर पर पुस्तक का एक सबल पक्ष चित्रांकन भी है। सचिन नागर ने शानदार और अद्भुत ग्राफिक तैयार किया है।
 
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जेसन क्विन, अशोक चक्रधर और सचिन नागर के सम्मिलित प्रयास से ‘गांधी : मेरा जीवन ही मेरा संदेश’ पुस्तक एक ऐसी कृति के रूप में सामने आई है, जो गांधी के अहिंसा, सत्याग्रह और स्वराज के सिद्धांत को प्रभावकारी रूप में प्रस्तुत करता है।
 
गांधी को जितना प्रचार रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ से पूरे विश्व में मिला, समीक्ष्य पुस्तक उसी अनुपात में गांधी के जीवन और विचारों को विश्व में प्रसारित करेगा, ऐसा माना जा सकता है। गांधी पर लिखी गईं तमाम पुस्तकों में यह कृति बिलकुल अनूठी है जिसे हर वर्ग में पसंद किया जाएगा। 
 
‘गांधी : मेरा जीवन ही मेरा संदेश’ (ग्राफिक नॉवेल)
लेखक : जेसन क्विन
हिन्दी रूपांतर : अशोक चक्रधर
प्रकाशक : कैम्पफायर, कल्याणी नवयुग मीडिया प्रालि 
101, सी, शिव हाउस, हरिनगर, आश्रम, नई दिल्ली-110014 
संस्करण : 2014, मूल्य : 350 रु. अजिल्द।
 

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