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युवा कविता महोत्सव में छाई रही महिलाएं

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नई दिल्ली। क़लमकार फांउडेशन ने साहित्य अकादमी से सहयोग से दिल्ली में युवा कविता महोत्सव किया। इस कविता महोत्सव में लंदन से लेकर ग्वालियर और बनारस के कवि शामिल हुए। कलमकार के तत्वावधान में साहित्य अकादमी में 'युवा कविता महोत्सव' के तहत 'कविता अभी, बिल्कुल अभी' का आयोजन हुआ, जिस में लगभग दर्जन भर कवि-कवयित्रियों ने शिरकत की।
विषय प्रर्वतन करते हुए युवा कवि कथाकार संजय कुंदन ने हिंदी को प्रतिरोध की भाषा बताया और कहा कि हिंदी की कविताएं मूलतः राजनीति केंद्रित हैं। कलमकार कविता महोत्सव में कवयित्रियों का बोलबाला था। उन्होंने प्रेम, परिवार, समाज, संबंध, दु:ख, अनुभव, प्रकृति केंद्रित कविताओं का पाठ कर यह जता दिया कि कविता के स्तर पर हिंदी सियासत से आगे बढ़ गई है। जिस में रसोई चिंतन व आव्जर्वेशन भी शामिल है। 
 
कलमकार फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष संजीव पालेवाल ने युवा कविता महोत्सव में आमंत्रित कवियों की पढ़ी गई रचनाओं का एक संकलन प्रकाशित करने की भी बात कहीं। ‘कविता अभी, बिल्कुल अभी’ की शुरुआत अर्चना राजहंस मधुकर की कविताओं से हुई जिसे रश्मि भारद्वाज, रेणु मिश्रा, सुजाता शिवेन, रमेश प्रजापति, आकांक्षा पारे काशिव, सुधा उपाध्याय, लंदन से आई शिखा वार्ष्णेय, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार व ग्वालियर से खास तौर से इस महोत्सव के लिए पधारे पवन करण ने अपनी नई कविताओं से अंजाम तक पहुंचाया। 
 
महोत्सव में अतिथि के रूप में पहुंचे कवि तेजेंदरसिंह लूथरा ने हिंदी कविता के प्रतिरोध की कविता मानने से मना कर दिया। जिस के समर्थन में उन्होंने अपनी कुछ कविताएं भी सुनाई। श्रोताओं के विशेष आग्रह पर संजय कुंदन ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं। 
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कथाकार भगवान दास मोरवाल ने की इस अवसर पर एनजीओ कल्चरल पर लिखे गए उनके उपन्यास 'नरक मसीहा' का लोकार्पण भी हुआ। इस महोत्सव का संयोजन क़लमकार फाउंडेशन से जुड़े श्रेष्ठ गुप्ता ने किया। कविता महोत्सव की शुरुआत में वरिष्ठ कथाकार प्रेमचंद सहजवाला को श्रद्धांजलि भी दी गई और वहां मौजूद गीताश्री और डॉ. रश्मि ने उनको याद किया।

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