रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने भारतीय बाजार में सस्ते फोन लाने की पहले से तैयारियां करने के और इसमें मदद के लिए दिग्गज कंपनियों को जियो प्लेटफॉर्म्स के मंच पर एकसाथ लाकर इसका ऐलान किया है, जो भारतीय स्मार्टफोन बाजार में धाक जमाए बैठी चीनी कंपनियों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
वर्तमान माहौल में जब गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच आए संबंधों के अत्यंत तनावपूर्ण होने से जियो का सस्ता स्मार्टफोन चीनी कंपनियों के लिए जबर्दस्त चुनौती साबित हो सकता है, जो भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर लगभग धाक जमाए बैठी हैं।
गलवान घटना के बाद देश में चीन को लेकर बहुत गुस्सा है और चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम लोगों ने जगह-जगह चलाई हुई है। अंबानी ने बुधवार को रिलायंस की 43वीं एजीएम में सोशल मीडिया की दिग्गज गूगल के जियो प्लेटफॉर्म्स में 33737 करोड़ रुपए में 7.73 प्रतिशत इक्विटी देने के साथ ही भारतीय दूरसंचार क्षेत्र को 2जी मुक्त कराने और 4जी और 5जी सस्ते स्मार्टफोन फोन उतारने की भी घोषणा की।
अंबानी ने अगले 3 वर्ष में रिलायंस जियो के यूजर्स को 50 करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। करीब चार साल पहले पांच सितंबर 2016 को भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखने वाली जियो के इस वर्ष मार्च में 38 करोड 75 लाख 16 हजार 803 ग्राहक थे और वह 33.47 प्रतिशत बाजार हिस्से के साथ पहले स्थान पर काबिज थी।
इससे पहले भी जियो के सस्ते फोन ने तहलका मचाया और इसके आने से फीचर्स फोनों का बाजार लगभग सिमट गया। अब सस्ता स्मार्टफोन लाकर अंबानी की नजर 35 करोड़ 2जी उपभोक्ताओं में से ज्यादा से ज्यादा को जियो के पाले में लाने पर होगी।
उनकी इस घोषणा के पीछे काफी समय से बन रही रणनीति और इसी के तहत जियो प्लेटफॉर्म्स में अपने-अपने क्षेत्र की दिग्गजों को साझीदार के तौर पर लाया गया है।
जैसे क्वालकॉम और इंटेल सेमीकंडक्टर या चिप बनाने के महारथी हैं तो गूगल के साथ मिलकर ऑपरेटिंग सिस्टम यानी (ओएस) विकसित किया जा जाएगा। जियो स्वयं ऐप्स के मामले में आत्मनिर्भर है और फेसबुक के साथ आने से व्हाट्सएप और फेसबुक सरीखे ऐप भी उसकी पकड़ में आ गए हैं। जियो फोन बनाने की निपुणता पहले से ही रिलायंस के पास है।
इन सबके एकसाथ आ जाने से जियो बहुत आसानी से एक सस्ता 4जी-5जी स्मार्टफोन बाजार में ला सकेगा। इसमें कोई शंका नहीं रह जाती, क्योंकि सभी एकसाथ है तो मुनाफा अलग-अलग न बंटकर एक जगह आएगा, जिससे लागत कम रहेगी और आसानी से भी किसी को टक्कर दी जा सकेगी।
रिसर्च फर्म काउंटरपॉइंट की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से भी ज्यादा है। 100 में 70 लोगों के पास चीन के स्मार्टफोन हैं। देश के टॉप-5 स्मार्टफोन ब्रांड में से चार चीन के हैं। सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत मार्केट शेयर शिओमी का है। दूसरे नंबर पर 17 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ वीवो है।
पहली पांच कंपनियों में सिर्फ सैमसंग है, जो कि दक्षिण कोरियाई कंपनी है। सैमसंग का मार्केट शेयर भारत में 16 प्रतिशत है। भारत का स्मार्टफोन मार्केट करीब दो लाख करोड़ रुपए का है। इसमें से ज्यादातर शेयर चीनी कंपनियों का है।
अंबानी ने सस्ते स्मार्टफोन फोन के साथ ही स्वदेश में विकसित जियो की संपूर्ण 5जी सोल्यूशन की रूपरेखा के साथ देश में विश्व स्तर की 5जी सेवा शुरू करने का भी ऐलान किया है। यह भी चीन के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा जैसे ही 5जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा।
इसका परीक्षण कर अगले वर्ष तक फील्ड में देने के लिए तैयार हो सकेगा। उन्होंने कहा कि एक बार देश में 5जी सोल्यूशन की मांग को पूरा करने के बाद इसे हम दूरसंचार क्षेत्र की विश्व की अन्य कंपनियों को भी निर्यात करेंगे। (वार्ता)