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एक माँ है जो खफा नहीं होती
मुनव्वर राना
तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फलकमुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।लबों के उसके कभी बद्दुआ नहीं होतीबस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती।मुझे बस इसलिए अच्छी बहार लगती हैकि ये भी माँ की तरह खुशगवार लगती है।बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआउठाया गोद में माँ ने तो आसमान छुआ।इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती हैमाँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकतामैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है।यारों को खुशी मेरी दौलत पे है लेकिनइक माँ है जो बस मेरी खुशी देख के खुश है।जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती हैमाँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।