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मां, तुझको गले लगाना है
- रोहित जैन
मैं रोया यहां दूर देस वहां भीग गया तेरा आंचलतू रात को सोती उठ बैठी हुई तेरे दिल में हलचल
जो इतनी दूर चला आया ये कैसा प्यार तेरा है मांसब ग़म ऐसे दूर हुए तेरा सर पर हाथ फिरा है मां जीवन का कैसा खेल है ये मां तुझसे दूर हुआ हूं मैंवक़्त के हाथों की कठपुतली कैसा मजबूर हुआ हूं मैं जब भी मैं तन्हा होता हूं, मां तुझको गले लगाना हैभीड़ बहुत है दुनिया में तेरी बांहों में आना हैजब भी मैं ठोकर खाता था मां तूने मुझे उठाया हैथक कर हार नहीं मानूं ये तूने ही समझाया हैमैं आज जहां भी पहुंचा हूं मां तेरे प्यार की शक्ति हैपर पहुंचा मैं कितना दूर तू मेरी राहें तकती हैछोती-छोटी बातों पर मां मुझको ध्यान तू करती हैचौखट की हर आहट पर मुझको पहचान तू करती हैकैसे बंधन में जकड़ा हूं दो-चार दिनों आ पाता हूंबस देखती रहती है मुझको आंखों में नहीं समाता हूंतू चाहती है मुझको रोके मुझे सदा पास रखे अपनेपर भेजती है तू ये कह के जा पूरे कर अपने सपनेअपने सपने भूल के मां तू मेरे सपने जीती हैहोठों से मुस्काती है दूरी के आंसू पीती हैबस एक बार तू कह दे मां मैं पास तेरे रुक जाऊंगागोद में तेरी सर होगा मै वापस कभी ना जाऊंगा।