-फ़िरदौस ख़ान
क़दमों को मां के इश्क़ ने सर पे उठा लिया
साअत सईद दोश पे फ़िरदौस आ गई...
ईश्वर ने जब कायनात की तामीर कर इंसान को ज़मीं पर बसाने का तसव्वुर किया होगा...यक़ीनन उस वक़्त मां का अक्स भी उसके ज़हन में उभर आया होगा... जिस तरह सूरज से यह कायनात रौशन है...ठीक उसी तरह मां से इंसान की ज़िन्दगी में उजाला बिखरा है...तपती-झुलसा देने वाली गर्मी में दरख़्त की शीतल छांव है मां...तो बर्फ़ीली सर्दियों में गुनगुनी धूप का अहसास है मां...एक ऐसी दुआ है मां, जो अपने बच्चों को हर मुसीबत से बचाती है... मां, जिसकी कोख से इंसानियत जनमी...जिसके आंचल में कायनात समा जाए...जिसकी छुअन से दुख-दर्द दूर हो जाएं...जिसके होठों पर दुआएं हों... जिसके दिल में ममता हो और आंखों में औलाद के लिए इंद्रधनुषी सपने सजे हों...ऐसी ही होती है मां...बिल्कुल ईश्वर के प्रतिरूप जैसी...ईश्वर के बाद मां ही इंसान के सबसे क़रीब होती है...
सभी नस्लों में मां को बहुत अहमियत दी गई है। इस्लाम में मां का बहुत ऊंचा दर्जा है। क़ुरआन की सूरह अल अहक़ाफ़ में अल्लाह फ़रमाता है-"हमने मनुष्य को अपने मां-बाप के साथ अच्छा बर्ताव करने की ताक़ीद की। उसकी मां ने उसे (पेट में) तकलीफ़ के साथ उठाए रखा और उसे तकलीफ़ के साथ जन्म भी दिया। उसके गर्भ में पलने और दूध छुड़ाने में तीस माह लग गए। " हज़रत मुहम्मद सलल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि "‘मां के क़दमों के नीचे जन्नत है." आपने एक हदीस में फ़रमाया है-"‘मैं वसीयत करता हूं कि इंसान को मां के बारे में कि वह उसके साथ नेक बर्ताव करे." एक हदीस के मुताबिक़ एक व्यक्ति ने हज़रत मुहम्मद साहब से सवाल किया कि- इंसानों में सबसे ज़्यादा अच्छे बर्ताव का हक़दार कौन है? इस पर आपने जवाब दिया-तुम्हारी मां।
उस व्यक्ति ने दोबारा वही सवाल किया. आपने फ़रमाया-तुम्हारी मां। उस व्यक्ति ने तीसरी बार फिर वही सवाल किया। इस बार भी आपने फ़रमाया कि तुम्हारी मां। उस व्यक्ति ने चौथी बार फिर भी यही सवाल किया। आपने कहा कि तुम्हारा पिता। यानी इस्लाम में मां को पिता से तीन गुना ज़्यादा अहमियत दी गई है। इस्लाम में जन्म देने वाली मां के साथ-साथ दूध पिलाने और परवरिश करने वाली मां को भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। इस्लाम में इबादत के साथ ही अपनी मां के साथ नेक बर्ताव करने और उसकी ख़िदमत करने का भी हुक्म दिया गया है। कहा जाता है कि जब तक मां अपने बच्चों को दूध नहीं बख़्शती तब तक उनके गुनाह भी माफ़ नहीं होते।
भारत में मां को शक्ति का रूप माना गया है। हिन्दू धर्म में देवियों को मां कहकर पुकारा जाता है। धन की देवी लक्ष्मी, ज्ञान की देवी सरस्वती और शक्ति की देवी दुर्गा को माना जाता है। नवरात्रों में मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना का विधान है। वेदों में मां को पूजनीय कहा गया है। महर्षि मनु कहते हैं-दस उपाध्यायों के बराबर एक आचार्या होता है, सौ आचार्यों के बराबर एक पिता होता है और एक हज़ार पिताओं से अधिक गौरवपूर्ण मां होती है। तैतृयोपनिशद् में कहा गया है-मातृ देवो भव:. इसी तरह जब यक्ष ने युधिष्ठर से सवाल किया कि भूमि से भारी कौन है तो उन्होंने जवाब दिया कि माता गुरुतरा भूमे: यानी मां इस भूमि से भी कहीं अधिक भारी होती है। रामायण में श्रीराम कहते हैं- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी यानी जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। बौद्ध धर्म में महात्मा बुद्ध के स्त्री रूप में देवी तारा की महिमा का गुणगान किया जाता है।
यहूदियों में भी मां को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। उनकी धार्मिक मान्यता के मुताबिक़ कुल 55 पैग़म्बर हुए हैं, जिनमें सात महिलाएं थीं। ईसाइयों में मां को उच्च स्थान हासिल है। इस मज़हब में यीशु की मां मदर मैरी को सर्वोपरि माना जाता है। गिरजाघरों में ईसा मसीह के अलावा मदर मैरी की प्रतिमाएं भी विराजमान रहती हैं। यूरोपीय देशों में मदरिंग संडे मनाया जाता है। दुनिया के अन्य देशों में भी मदर्स डे यानी मातृ दिवस मनाने की परंपरा है। भारत में मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है. चीन में दार्शनिक मेंग जाई की मां के जन्मदिन को मातृ दिवस के तौर पर मनाया जाता है, तो इज़राईल में हेनेरिता जोल के जन्मदिवस को मातृ दिवस के रूप में मनाकर मां के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। हेनेरिता ने जर्मन नाज़ियों से यहूदियों की रक्षा की थी। नेपाल में वैशाख के कृष्ण पक्ष में माता तीर्थ उत्सव मनाया जाता है। अमेरिका में मई के दूसरे रविवार को मदर डे मनाया जाता है। इस दिन मदर्स डे के लिए संघर्ष करने वाली अन्ना जार्विस को अपनी मुहिम में कामयाबी मिली थी। इंडोनेशिया में 22 दिसंबर को मातृ दिवस मनाया जाता है। भारत में भी मदर्स डे पर उत्साह देखा जाता है।
मां बच्चे को नौ माह अपनी कोख में रखती है। प्रसव पीड़ा सहकर उसे इस संसार में लाती है। सारी-सारी रात जागकर उसे सुख की नींद सुलाती है। हम अनेक जनम लेकर भी मां की कृतज्ञता प्रकट नहीं कर सकते। मां की ममता असीम है, अनंत है और अपरंपार है। मां और उसके बच्चों का रिश्ता अटूट है। मां बच्चे की पहली गुरु होती है। उसकी छांव तले पलकर ही बच्चा एक ताक़तवर इंसान बनता है। हर व्यक्ति अपनी मां से भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है। वह कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन अपनी मां के लिए हमेशा उसका छोटा-सा बच्चा ही रहता है। मां अपना सर्वस्व अपने बच्चों पर न्यौछावर करने के लिए हमेशा तत्पर रहती है। मां बनकर ही हर महिला ख़ुद को पूर्ण मानती है।
कहते हैं कि एक व्यक्ति बहुत तेज़ घुड़सवारी करता था। एक दिन ईश्वर ने उस व्यक्ति से कहा कि अब ध्यान से घुड़सवारी किया करो। जब उस व्यक्ति ने इसकी वजह पूछी तो ईश्वर ने कहा कि अब तुम्हारे लिए दुआ मांगने वाली तुम्हारी ज़िन्दा नहीं है। जब तक वो ज़िन्दा रही उसकी दुआएं तुम्हें बचाती रहीं, मगर उन दुआओं का साया तुम्हारे सर से उठ चुका है। सच, मां इस दुनिया में बच्चों के लिए ईश्वर का ही प्रतिरूप है, जिसकी दुआएं उसे हर बला से महफ़ूज़ रखती हैं। मातृ शक्ति को शत-शत नमन...
(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं)