कोरोनाकाल के दौरान लोगों में निराशा, हताशा और भय के साथ ही मन में नकारात्मक अर्थात निगेटिव सोच का जन्म भी हो चला है। हालांकि इस बीच कई लोग बेखौफ घूम रहे हैं और लापरवाही की तो हद हो चली है। कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के दौर में लोग ना मास्क लगा रहे हैं और ना सोशल डिस्टेंसिंग रख रहे हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना से डरना चाहिए या नहीं।
1. आओ इस संबंध में एक कहानी पढ़ते हैं। कहते हैं कि अमेरिका में एक कैदी को फांसी की सजा दी तो डॉक्टरों ने जजों से कहाकि कैदी पर प्रयोग किया जाए फांसी के बजाए जहर देकर मारा जाए। ऐसा ही आदेश हुआ।...कैदी को बताया गया कि आपको फांसी नहीं कल सांप के जहर से मारने का आदेश हुआ है। रातभर कैदी सांप के जहर के बारे में सोचता रहा।
सुबह उसे एक कुर्सी पर बैठाकर उसे एक बड़ा जहरिला सांप दिखाया गया। कैदी उसको देखकर कांप गया। फिर उसके हाथ बांधकर उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई। इसके बाद उसे सांप से ना डसवा कर सेफ्टी पिन जोर चुभाई गई।
आश्चर्य यह हुआ कि उस सुई को चुभाते ही कुछ देर में ही तड़फ तड़प कर उस कैदी की मौत हो गई। इससे भी बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार कैदी के शरीर में सांप का जहर पाया गया। डॉक्टरों की टीम ने पुष्टि की ही इस कैदी की मृत्यु सांप के काटने से हुई है। सभी डॉक्टर्स यह देखकर आश्चर्य करने लगे और तब यह सिद्ध हुआ कि आदमी का डर क्या कर सकता है। डर के कारण उसके शरीर और मस्तिष्क ने उसी जहर का निर्माण कर दिया। मतलब कि उसके शरीर में उसी तरह के हर्मोंस निर्माण हुए। लगभग 90 प्रतिशत रोग सबसे पहले आपके मस्तिष्क में ही जन्म लेते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि आप कोरोना के प्रति लापरवाह बन जाओ।
2. डॉक्टर मानते हैं कि भय और चिंता से आपका इम्युनिटी सिस्टम गड़बड़ा जाता है। कोरोना काल में सबसे जरूरी है इम्युनिटी पावर को बढ़ाना। यदि आप भय और चिंता से घिरे रहेंगे तो इम्युनिटी बूस्टर लेने का कोई फायदा नहीं होगा। तनाव आपकी (आंतरिक) शक्ति और आत्मा की आवाज को दबा देता है। इसलिए इसे समझें और इससे दूर रहें। मन को मनोरंजन और रिश्तों में संवाद में लगाएं।
3. हमारा दिमाग और हमारा मन अर्थात बुद्धि और मन यदि इसने मान लिया की मैं बीमार हूं तब बीमारी नहीं होगी फिर भी आप बीमारी हो जाएंगे, क्योंकि दिमाग वही काम करना है जिसे मन स्वीकार कर लेता है। दिमाग शरीर का हिस्सा है और मन आपके सूक्ष्म शरीर का हिस्सा है। आप अंगूठा तभी हिला पाते हैं जबकि दिमाग के तंत्र को मन आदेश देता है। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। इसलिए मन की शक्ति को समझे।
4. गीता में कहा गया है। न जन्म तुम्हारे हाथ में है और न मृत्यु। न अतीत तुम्हारे हाथ में है और न भविष्य। तुम्हारे हाथ में है तो बस ये जीवन और ये वर्तमान। इसलिए जन्म और अतीत कर शोक मत करो और मृत्यु एवं भविष्य की चिंता मत करो। निर्भिक होकर बस कर्म करो। निष्काम कर्म करो। तुम्हारा कर्म ही तुम्हारा भविष्य है।
5. भरपूर नींद और कसरत आपके दिमाग और मन को शक्ति ही प्रदान नहीं करते हैं बल्कि इम्युनिटी पावर भी डेवलप करते हैं। हमारी नींद सबसे बड़ी डॉक्टर है। चिंता और भय से घिरे मनुष्य की नींद कम हो जाती है। इसलिए जब भी सोने का मौका मिले जरूर सो जाएंगे भले ही झपकी लें लें। झपकी में वह क्षमता है जो 8 घंटे की नींद में भी नहीं है।
6. कोरोना वायरस को समझें। यह कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। जिन्हें भी हुआ है वह ठीक हो गया है। हमारे देश में इस रोग से मरने वाले लोगों की संख्या प्रतिशत में बहुत कम है। जिन्होंने बगैर डरे समय पर जांच कराकर अपना इलाज प्रारंभ कर दिया है वह जल्द ही ठीक हो गया है। कोरोना से संक्रमित वही लोग हो रहे हैं जो गाइडलाइन को फालो नहीं कर रहे हैं। जहां तक सवाल डॉक्टर, नर्स, पैथोलॉजिस्ट, सफाईकर्मी, पुलिस और अन्य कोरोना वॉरियर का है तो वे आपकी सेवा करते हुए ही संक्रमित हुए हैं और उनमें से अधिकतर ठीक भी हो गए हैं। इसलिए डरे नहीं समझे, दो गज दूरी बनाकर रखें, मॉस्क लगाएं और समय-समय पर हाथ धोएं। यदि आप उपरोक्त नियमों का पालन करते हैं तो आपको कोरोना कभी नहीं होगा और यदि नहीं करते हैं तो आप देश के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं ऐसा माना जाएगा। आज नहीं तो कल यह वक्त भी गुजर जाएगा। जीतेगा वही जो अपने मन की शक्ति को बढ़ाएगा।