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लाल नदी और नीले पहाड़ों के देश में

विश्व पर्यटन दिवस

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, सोमवार, 27 सितम्बर 2010 (12:14 IST)
रविशंकर रवि
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प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पूर्वोत्तर पर्यटकों को भा रहा है। यहाँ का परिवेश, मौसम और पर्यटकों को गहरे छू जाती है। इस क्षेत्र को प्रकृति ने सबकुछ दिया है- नीले पहाड़, लाल नदियाँ, जंगल, दुर्लभ वन्यजीव, बर्फ से ढँकी चोटियाँ, विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली। इसके अलावा कामाख्या मंदिर और तवांग बौद्ध मठ तो है ही। उग्रवाद कमजोर पड़ा है और यातायात के साधन बेहतर हुए हैं। इससे सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

असम
काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क -पूर्वोत्तर में असम के काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क, चाय बागान, कामाख्या मंदिर, ब्रह्मपुत्र और बाघों के लिए विख्यात मानस राष्ट्रीय पार्क पर्यटकों को सबसे अधिक आकर्षित करते हैं।

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पूर्वोत्तर का "खजुराहो"- गुवाहाटी से महज चालीस किलोमीटर दूर और राष्ट्रीय राजमार्ग-52 पर स्थित बाइहाटा चारियाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर जंगलों के बीच देवानगिरी नामक एक छोटी सी पहाड़ी पर पूर्वोत्तर का "खजुराहो"- मदन कामदेव कई रहस्यों, उत्कंठा और प्राचीन कामरूप नगरी के शिलालेखों का गवाह है। यहाँ खजुराहो की तरह यौन क्रियारत कई मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं।

मेघालय
मेघालय अपने प्राकृतिक सौंदर्य, चीड़ के प़ेडों से भरी नीली पहाड़ियों, झरने, गुफाओं और बादलों के स्वच्छंद विचरण के लिए जाना जाता है। मेघालय की सबसे बड़ी खासियत बादलों का डेरा है। बादल इधर-उधर घूमते रहते हैं।

शिलांग-भरी गर्मी में भी शिलांग का सर्द मौसम नई ताजगी पैदा कर देता है। शिलांग और इसके आसपास का प्राकृतिक नजारा इसके आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल में प्राकृतिक नजारों के साथ साहसिक पर्यटन की भी सुविधा है। अस्सी हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले अरुणाचल प्रदेश का सत्तर हजार वर्ग किलोमीटर इलाका हिमालय की गोद में स्थित है। पहाड़ों से उतरती नदियाँ जलक्रीड़ा के साहसिक अवसर प्रदान करती हैं। राफ्टिंग के लिए इससे बेहतर जगह और कोई नहीं है। चीन की सीमा पर बर्फबारी का आनंद है।

तवांग-चीन की सीमा से सटे अरुणाचल के तवांग इलाके की यात्रा का अपना अलग आनंद हैं। तवांग का बौद्ध मठ काफी प्रसिद्ध है । वहाँ के विशाल पुस्तकालय में पुराने धर्मग्रंथों के करीब साढ़े आठ सौ बंडल सुरक्षित हैं। यह स्थल महायान बौद्धों का केंद्र है।

मिजोरम
नीले पहाड़ के लिए विख्यात मिजोरम में सिल्चर के रास्ते सड़क मार्ग से आने के दौरान उठान और ढलान, संकरे रास्ते, एक तरफ खाई और दूसरी तरफ पहाड़ी के बीच गुजरती गाड़ी रोमांच पैदा करती है। कभी उग्रवाद से गरम मिजोरम अब बिल्कुल शांत और सौम्य है। यहाँ का बाँस नृत्य जगजाहिर है जिसे इसी वर्ष गिनीज वर्ल्ड बुक्स ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।

फांगपुई- आइजल से करीब सवा दो सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित फांगपुई जाना रोमांचक लगता है । यह म्यांमार की सीमा से सटा है । इसकी चोटी राज्य की सबसे ऊँची चोटी है जो आर्किड और कांटेदार पौधे के लिए विख्यात है।

मणिपुर
मणिपुर की राजधानी इंफाल का सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन भी सैलानियों को आकर्षित करता है। इंफाल शहर की सुंदरता देखते ही बनती है। मणिपुर घाटी में वैष्णव धर्म का व्यापक प्रभाव आज भी है इसलिए श्रीकृष्ण मंदिर सहज दिख जाते हैं। इंफाल का श्री गोविंद मंदिर, खवैरामंद बाजार और लुप्तप्राय संगाई देखने के लिए जूलॉजिकल गार्र्डन के अलावा प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण लोकतक झील, ऐतिहासिक स्थल लांगथाबल आदि देखने के स्थल हैं।

नगालैंड
पूरा नगालैंड ऊँची पहाड़ियों पर बसा है और उन्हीं के बीच से गुजरती है सड़क। नगालैंड में कम से कम सोलह जनजातियों का वास है। उनकी संस्कृति, वेशभूषा और बोली भिन्ना है इसलिए कभी मौका मिलने पर गुवाहाटी या दिमापुर से इंफाल जाते हुए कोहिमा रुकना यात्रा को यादगार बना सकती है। दिमापुर से कोहिमा तक की सड़क के किनारे का नजारा ही लोगों को मुग्ध कर देने के लिए काफी है। इतना सुंदर लैंडस्केप कम ही देखने को मिलता है। वहाँ की पहाड़ियों पर तीन सौ साठ प्रकार के आर्किड पाए जाते हैं।

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त्रिपुरा
राजधानी अगरतला में बांग्ला संस्कृति का प्रभाव देखा जा सकता है। अगरतला की सीमा बांग्लादेश से सटी है। अगरतला मंदिरों और राजमहलों का शहर है। हरोरा नदी के किनारे बसे अगरतला में देवबर्मन वंश का प्रभाव है। कॉलेज टिला, महाराजा राधा किशोर माणिक्य का ग्रीक शैली में बनाया गया उज्जयंता पैलेस, कुंजवन पैलेस, वेणवन विहार, रवींदर कानन, ट्राइबल म्यूजियम देखने लायक हैं। त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर भव्य है। अगरतला के चारों ओर जनजातियों का वास है।

कैसे पहुँचें- गुवाहाटी से दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नाई, जयपुर, हैदराबाद जैसे शहरों के लिए सीधी हवाई और रेल सेवाएँ हैं। दिल्ली से गुवाहाटी के बीच प्रति दिन करीब एक दर्जन उड़ानें हैं। गुवाहाटी पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार है। गुवाहाटी से पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों- इंफाल, अगरतला, आइजल, दिमापुर (कोहिमा) के लिए नियमित उड़ानें हैं। गुवाहाटी से ही शिलांग, ईटानगर और तवांग के लिए सड़क यातायात के अलावा हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध है। गुवाहाटी से पूर्वोत्तर के हर शहर के लिए सीधी और आरामदायक बसें चलती हैं।सिक्किम

सिक्किम हिमालय के हृदय में बैठा एक खूबसूरत राज्य है। संग्रीला और कंचनजंघा की बर्फ से आच्छादित चोटियों ने इसे और भी सुंदर बना दिया है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ बौद्ध मठ, स्तूप और लोगों की जीवनशैली पर्यटकों को मुग्ध कर देते हैं । सिक्किम झरनों के लिए भी विख्यात है । इनमें कंचनजंघा फॉल्स, चंगी फॉल्स, फामरोम फॉल्स, रिंबी फॉल्स आदि प्रमुख हैं । छंगु लेक का दीदार सुकून देता है।

प्रकृति को करीब से देखें-इसके लिए कंचनजंघा नेशनल पार्क, फामबोंग ल्हो वाइल्डलाइफ अभयारण्य आदि जगहों पर जाया जा सकता है । सिक्किम में हर तरफ बौद्ध मठ देखने को मिलते हैं।

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