दार्जिलिंग के समीप बसे एक पहाड़ी गांव लामाहत्ता की हरियाली, नदियां और खूबसूरत नजारे पर्यटकों को जल्द ही लुभाएंगे। पश्चिम बंगाल सरकार भी लामाहत्ता के सौंदर्य को निखारने और उसके विकास में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
दार्जिलिंग शहर से 23 किलोमीटर दूर करीब 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लामाहत्ता गांव इस माह के आखिर तक पर्यटकों के लिए तैयार हो जाएगा। यहां एक ‘हनीमून प्वॉइंट’ तैयार किया गया है जहां पांच कुटिया और 44 बिस्तरों की व्यवस्था है।
राज्य के पर्यटन मंत्री रछपाल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालिया दौरे में लामाहत्ता की पहचान की थी। अब इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। यह पहल गैर वन खासमहल क्षेत्र में इको टूरिज्म गांव के विकास के तौर पर की जा रही है और इसमें स्थानीय वन सुरक्षा समिति की सक्रिय भागीदारी है।
सिंह ने कहा कि इससे स्थानीय पर्यावरण की पारिस्थितिकी और जैव विविधता को व्यवधान पहुंचाए बिना ग्रामीणों के सतत विकास में मदद मिलेगी।
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लामाहत्ता गांव में तमांग, शेरपा, यालमोज, भूटिया और दुकपा जनजाति के लोग तथा कुछ ईसाई भी रहते हैं। इस गांव में पहाड़ी संस्कृति है और लोग कृषि तथा पशुपालन मुख्य रूप से करते हैं।
लामाहत्ता दार्जिलिंग..कलिमपोंग राज्य राजमार्ग से जुड़ा है और यहां का मौसम ठंडा लेकिन खुशनुमा है। मंत्री ने बताया कि दार्जिलिंग..लामाहत्ता..ताकदाह परिपथ (सर्किट) के विकास के तहत लामाहत्ता के करीब ताकदाह में छह पुराने कमरों का नवीनीकरण और आसपास का सौंदर्यीकरण किया गया है।
सिंह के अनुसार, आठ माह में करीब 1.5 करोड़ रुपए की लागत से विकसित लामाहत्ता पर्यटकों के स्वागत के लिए इस माह के आखिर तक तैयार हो जाएगा। यहां सड़क के किनारे बगीचे, क्यारियां, मौसमी फूल, तथा और भी बहुत कुछ है जिसे देख कर दार्जिलिंग, कलिमपोंग और सिक्किम जा रहे पर्यटक जरूर यहां रूकना चाहेंगे।
लामाहत्ता के खास आकर्षणों में एक वॉच टॉवर भी है जहां से कंचनजंगा, सिक्किम की पहाड़ियों, बहती तीस्ता और रांगित नदियों का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। साथ ही यहां से दार्जिलिंग का सौंदर्य भी नजर आएगा।
सिंह ने बताया कि यहां कई ट्रैकिंग मार्गों की पहचान की गई है और ट्रैकिंग के लिए आवश्यक सुविधाओं तथा प्रशिक्षित गाइडों की व्यवस्था की गई है। (भाषा)