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पहाड़ों की रानी - मसूरी

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- पूनम

पतली घुमावदार सड़कें, हरे-भरे पेड़, दूर तक नजर आती ऊंची-नीची पहाड़ियां, एक ओर दूर नजर आते बर्फ से ढंके सफेद पहाड़, दूसरी ओर पहाड़ों की गोद में बने छोटे-छोटे घर यानी देहरादून शहर। यहां आकर कोई भी रोमांचित हो सकता है। गर्मी के मौसम में दिन के समय हल्की गर्मी जरूर हो सकती है लेकिन यहां की मदमस्त कर देने वाली सुबह और शाम किसी को भी लुभा सकती है।

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हम बात कर रहे हैं पहाड़ों की रानी कही जाने वाली मसूरी की। दिल्ली से लगभग ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मसूरी दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। कारण है कि वीकेंड पर जाने वालों के लिए भी यह जगह सबसे आराम से पहुंच में आने वाली है।

समुद्र तट से सात हजार फुट की ऊंचाई पर बसा मसूरी शहर कई मामलों में निराला है। यहां किसी भी समय बारिश का मौसम बन जाता है। मसूरी के एक ओर से गंगा नजर आती है तो दूसरी ओर से यमुना नदी। मसूरी शहर 1822 से बसना शुरू हुआ और आज तक लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।


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यूं तो पूरे साल यहां का मौसम सुहाना रहता है लेकिन अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच आने वालों को और भी अच्छा मौसम मिलता है।

यहां का मॉल रोड घूमने और खरीदारी करने के लिए अच्छी जगह है। मॉल रोड आने वाले सैलानी यहां की गन हिल पहाड़ी देखने के लिए जरूर जाते हैं। लगभग 20 मिनट में पहाड़ी की चोटी पर पहुंचा जा सकता है। रोप-वे द्वारा 400 मीटर की चढ़ाई चढ़ने की व्यवस्था भी है।

यहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला के बंदेरपंच, श्रीकंठ, पीठवाड़ा व गंगोत्री के बेहतरीन नजारे देखे जा सकते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व 1947 में लोगों को रोकने के लिए फायर करने के लिए इस पहाड़ी पर एक गन लगाई गई थी। तभी से इसका नाम गन हिल पड़ गया।

मसूरी से 15 किलो मीटर की दूरी पर यमुनोत्री रोड पर कैंप्टी फॉल्स स्थित है। ऊंची पहाड़ियों से घिरा एक झरना है। मंसूरी आने वाले सैलानी इस झरने को देखने के लिए जरूर आते हैं। म्यूनिसिपल गार्डन भी देखने लायक है। यहां एक छोटी सी कृत्रिम झील का निर्माण कराया गया है। विभिन्न प्रकार के फूलों से सुसज्जित गार्डन लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

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बच्चों के साथ जा रहे हैं तो यहां के कंपनी बाग जरूर जाइएगा। यहां बच्चों के मनोरंजन के बहुत से साधन हैं। कृत्रिम सांड की पीठ पर बैठकर बच्चे खूब खुश होते हैं। नाग देवता का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मसूरी से छह किलो मीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर में हमेशा पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां से दून वैली और मसूरी का नजारा देखना बेहद अच्छा लगता है। सुबह-शाम घूमने के लिए निकलने वालों के लिए कैमल बैक रोड पसंदीदा स्थान है। मसूरी आने वाले सैलानी यहां शाम के समय छिपता हुआ सूरज यानी 'सनसैट' देखने के लिए जरूरी आते हैं।

मसूरी आने वालों के लिए ठहरने की कोई समस्या नहीं होती। यहां कदम-कदम पर होटल और गैस्ट हाउस स्थित हैं। लोगों के बजट और पसंद के हिसाब से ठहरने की जगह मिल जाती है। तो गर्मी की छुट्टियों में आप मसूरी जाने का मन बना रहे हैं तो अभी से तैयारी शुरू कर दें।

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