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पर्यटकों पर जादू करती है बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख की ठंडक..!

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सुरेश एस डुग्गर

* ऐसे में पर्यटकों की भीड़ क्यों नहीं तोड़ेगी रिकार्ड
 
बर्फ से ढंकी ऊंची चोटियां, हिमनदी, रेत के टीले, चमकती सुबह के साथ घने बादल, दुनिया की सबसे ऊंची जगह पर स्थित लद्दाख का यह परिदृश्य है। लद्दाख उत्तर की तरफ से काराकोरम और दक्षिण की तरफ हिमालय से घिरा है। लगभग 9,000 से 25,170 फीट की ऊंचाई पर यह स्थान है।
 
वहां जाने पर ऐसा महसूस होता है मानो हम पूरी दुनिया की छत पर घूम रहे हैं। लद्दाख को पिछले दस साल से पर्यटकों के लिए खोला गया है। यहां की बेहतरीन खूबसूरती यहां आने वाले हर पर्यटक के दिल में अपनी अमिट छाप बना देती है। लद्दाख की ऊंचाई इतनी है, मानो हम धरती और आकाश के बीच खड़े हैं। लद्दाख को बर्फीला रेगिस्तान भी कह सकते हैं।
और ऐसे में जब सारे देश में गर्मी से आम आदमी बेहाल हो और बर्फीले लद्दाख की ठंडक का नजारा लूटने कौन नहीं आना चाहता। फिलहाल यही हाल बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख का है जहां आने वाले पर्यटकों की भीड़ सारे रिकार्ड तोड़ने लगी है। यह सच है क देश के सभी राज्यों व विदेशों से भी पर्यटक भारी संख्या में लद्दाख पहुंच रहे है।

लद्दाख का मौसम इस समय काफी सुहावना बना हुआ है। अपने आप में बहुत ही सुन्दर व रमणीय स्थल है लद्दाख जबकि चारों और घूमने के लिए इसे काफी बेहतर जगह माना गया है। आजकल पर्यटक भारी संख्या में लद्दाख पहुंच रहे है जिससे क्षेत्र के व्यापारियों को भी काफी लाभ हो रहा है।
 
लद्दाख का मुख्य शहर लेह में है। यहां 17वीं शताब्दी में बना नौ मंजिला पैलेस जिसे लेह पैलेस कहते हैं, देखने लायक है। 1825 में बना स्टाक पैलेस दरअसल म्यूजियम है, जिसमें बेशकीमती गहने, पारम्परिक कपड़े और आभूषण रखे हैं। इन्हें देखकर लेह के प्राचीन समय की याद आती है। यहां शक्यमुनि बुद्ध की भव्य प्रतिमा दर्शनीय है, जिसे सोने से बनाया गया है, इस पर तांबे की परत भी चढ़ाई गई है।
 
नैमग्याल सेना गोम्पा में तीन मंजिला ऊंची बुद्ध की प्रतिमा, प्राचीन हस्तलिपि और भित्तिचित्र भी देख सकते हैं। दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील पैंगांग झील भी लद्दाख में देखी जा सकती है।
 
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लद्दाख खेलप्रेमियों के लिए भी बेहतरीन जगह है। आइस हॉकी का मजा दिसम्बर से फरवरी तक लिया जा सकता है। यहां क्रिकेट भी खेली जाती है। धनुषबाजी और पोलो लद्दाख के पारम्परिक खेल हैं। 17वीं शताब्दी में पोलो की शुरुआत हुई थी। लद्दाख जाने का बेहतरीन समय है मई से अक्टूबर तक। इस समय यहां का मौसम बेहतरीन होता है। दिसम्बर से फरवरी तक यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है।
 
लद्दाख का नीला पानी और घने बादल पर्यटकों पर जादू सा असर करते हैं। यहां सूरज जितना चमकदार होता है, हवाएं उतनी ही ठंडी। जम्मू-कश्मीर का यह छोटा सा क्षेत्र अपने आप में इतनी खूबसूरती समेटे हुए है कि यहां आकर आप बिना पलकें झपकाएं यहां के प्राकृतिक दृश्यों को निहारते रह जाएंगे। लद्दाख भारत का ऐसा क्षेत्र है जो आधुनिक वातावरण से बिल्कुल अलग है। वास्तविकता से जुड़ी मगर पुरानी परम्पराओं को समेटे हुए। यहां के जीवन पर अध्यात्म का गहरा असर है। जो पर्यटक यहां आते हैं, उन्हें लद्दाख का जनजीवन, संस्कृति और लोग दुनिया से अलग लगते हैं।
 
महान बुद्ध की परम्परा को वहां के लोगों ने आज भी सहेज रखा है। इसी कारण लद्दाख को छोटा तिब्बत भी कहा जाता है। छोटा तिब्बत कहने का एकमात्र कारण यह है कि यहां तिब्बती संस्कृति का प्रभाव दिखाई देता है। लद्दाख विश्व का सबसे ऊंचाई पर बसा निवास स्थल है। यह अपने आप में इतना अद्भुत है कि हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता है। 

पहाड़ों के बीच बने यहां के गांव, आकाश छूती स्तूपें और खड़ी व पथरीली चट्टानों पर बने मठ देखने में ऐसे लगते हैं जैसे हवा में झूल रहे हों। इन मठों के अंदर बेशकीमती पुरातत्व और प्राचीन कलाएं दर्शनीय है।

लद्दाख में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु दिखाई देते हैं। विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जंगली जानवर की भी अलग-अलग और दुर्लभ प्रजातियां यहां देखने को मिलती हैं।


 

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