भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही भाजपा के चुनावी अभियान ने जोर पकड़ लिया है। भाजपा की ओर से चुनावी कमान अब खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने हाथ में ले ली है।
सूबे में कांग्रेस को मात देने के लिए भाजपा के 'चुनावी चाणक्य' माने जाने वाले अमित शाह ने खास व्यूहरचना रची है। शाह कांग्रेस को पटखनी देने के लिए हर उस रणनीति पर काम कर रहे हैं जिससे कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सत्ता का वनवास खत्म न हो सके। शाह अपने हर दौरे में भाजपा के वोटबैंक में सेंध लगाने की विरोधी दलों की हर रणनीति को फ्लॉप करने में जुटे हैं।
आदिवासी वोटबैंक को साधने की शाह रणनीति : मध्यप्रदेश में जिस दिन चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कर रहा था, उस दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह झाबुआ में आदिवासियों की सभा को संबोधित कर रहे थे। शाह आदिवासियों को ये भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि आदिवासियों के हित भाजपा सरकार में ही सुरक्षित हैं।
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस को आदिवासियों की चिंता केवल चुनाव के समय आती है इसलिए अब चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राहुल बाबा आदिवासियों से मिलने आएंगे।
अगर चुनाव में आदिवासी वोटबैंक के चुनावी महत्व की बात की जाए तो सूबे की 47 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं जिसमें से पिछले चुनाव में भाजपा ने 32 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। भाजपा के सामने इन चुनावों में अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। ये चुनौती उस वक्त और बढ़ गई है, जब जयस ने आदिवासियों के बीच अपना अच्छा-खासा जनाधार खड़ा किया है और जयस ने 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
किसानों को साधने के लिए खास रणनीति : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस विधानसभा चुनावों में नाराज किसानों को मनाना है। मंदसौर गोलीकांड के डेढ़ साल बाद अब भी उस मालवा का किसान भाजपा से नाराज चल रहा है जिसको मानने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'संबल' जैसी योजना लॉन्च की।
आज मध्यप्रदेश में बात करें तो हर बड़ा किसान नेता चाहे वो शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी हो या मालवा के किसान नेता केदार सिरोही, ये भाजपा के खिलाफ खड़े हुए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शायद इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि बिना किसानों को साथ लाए सूबे में चौथी बार भाजपा की सरकार नहीं बन सकती है इसलिए चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अमित शाह ने जिस पहली सभा को संबोधित किया, वो था जावरा का किसान महाकुंभ।
महाकुंभ में अमित शाह ने किसानों को एक और तो 15 साल पहले की दिग्विजय सिंह की सरकार के समय किसानों की दुर्दशा को याद दिलाया तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसान का बेटा बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार के किसानों के लिए किए गए कामों को याद दिलाया। भाजपा इस बात को अच्छी तरह जानती है कि मालवा-निमाड़ की करीब 68 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य पूरी तरह किसानों के रुख पर निर्भर करेगा।
युवाओं को रिझाने के लिए शाह का खास प्लान : मध्यप्रदेश में इस बार युवा वोटर्स सरकार बनाने में मुख्य भूमिका निभाने जा रहा है। प्रदेश में कुल 5 करोड़ वोटरों में से 1.50 करोड़ वोटर्स 30 साल से कम आयु के हैं। इनमें से 15 लाख युवा तो पहली बार मतदान करेंगे। सत्ता में भाजपा को चौथी बार बनाए रखने के लिए शाह की नजर इसी युवा वोटर पर है।
9 अक्टूबर को अमित शाह अपने ग्वालियर-चंबल के दौरे के दौरान युवाओं के सम्मेलन को संबोधित करेंगे, वहीं शाह अपने इस दौरे के दौरान सूबे में कांग्रेस के यूथ ऑइकॉन माने जाने वाले चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में चुनावी सभा और रोड शो को भी सबोधित करेंगे। शाह, सिंधिया को उन्हीं के गढ़ में घेरकर भाजपा को एक मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलाने की कोशिश में रहेंगे।