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विधानसभा चुनाव 2018: कांग्रेस की 'नई रणनीति' और एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर भाजपा पर भारी, मोदी बन सकते हैं 'तारणहार'...

हमें फॉलो करें विधानसभा चुनाव 2018: कांग्रेस की 'नई रणनीति' और एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर भाजपा पर भारी, मोदी बन सकते हैं 'तारणहार'...
, मंगलवार, 14 अगस्त 2018 (16:30 IST)
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तीन बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्‍थान, छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होना हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब डेढ़ दशक से भाजपा की सरकारें हैं, वहीं राजस्थान में भी भाजपा की ही सरकार है। 

लेकिन, पिछले कुछ समय से इन राज्यों से आ रही खबरें एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर की ओर इशारा कर रही हैं। यही नहीं एक टीवी चैनल एबीपी न्यूज-सी वोटर सर्वे के मुताबिक भी तीनों राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिलने की संभावनाएं बन रही हैं।

इस सर्वे के मुताबिक, राजस्थान में कांग्रेस को 130, भाजपा को 57 और अन्य को 13 सीटें मिलने की संभावना है, राजस्थान में वसुंधरा सरकार पिछले 5 वर्षों से है और ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार फिलहाल राज्य के मतदाता, खासतौर पर राजपूत समाज वसुंधरा से खासा नाराज दिखाई दे रहा है। हाल ही भाजपा से अलग होकर नया दल बनाने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी भी भगवा पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं। आरक्षण की मांग पर जाट-गुर्जर समीकरण भी इस बार भाजपा के लिए मुसीबत बनता दिखाई दे रहा है।

वैसे तो मप्र के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह लगभग एक दशक से राज्य के लोकप्रिय नेता बने हुए हैं लेकिन सर्वे के अनुसार मध्यप्रदेश में कांग्रेस की बहुमत के साथ सरकार बन सकती है। ऐसा भी माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस नई रणनीति अपनाते हुए मध्यप्रदेश में बसपा और सपा से गठजोड़ करती है तो उसे इसका बड़ा फायदा मिल सकता है। कुछ समय पहले कांग्रेस के ही एक सर्वे में पार्टी को बसपा से गठजोड़ की नसीहत दी गई थी।

सर्वे के मुताबिक मध्यप्रदेश में कांग्रेस को 117 तो भाजपा को 106 सीटें मिल सकती हैं, जबकि अन्य के हिस्से में 7 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। 2013 के परिणामों के आधार पर देखें तो भाजपा को 59 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है।

ऐसा माना जा रहा है कि मप्र और छत्तीसगढ़ में भाजपा एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर से जूझ रही है। हालांकि सर्वे में शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद बने हुए हैं जो बताता है कि उन्हें जन-आर्शीवाद यात्रा का फायदा मिल रहा है।


लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट इशारा करती है कि मप्र में किसान और व्यापारी वर्ग सरकार से नाराज है और कमलनाथ की अगुवाई में 'बिखरी' हुई कांग्रेस इस नाराजगी को अपने फायदे में भुनाने की तैयारी कर रही है। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को हालिया निकाय चुनावों में मिली सफलता से भी कांग्रेस के हौंसले फिलहाल बुलंद हैं।

इस सर्वे के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भाजपा को 33, कांग्रेस को 54 और अन्य को 3 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन जमीनी स्थिति बताती है कि इस समय कांग्रेस के पास यहां कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं जो 15 सालों से सत्तासीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को टक्कर दे सके और कांग्रेस से अलग पार्टी बनाए बैठे अजीत जोगी अब कांग्रेस के वोट काटने की स्थिति में है। 

यहां भाजपा को झटका तभी लग सकता है जब कांग्रेस अजीत जोगी को साथ लेकर चुनाव लड़े, ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि भाजपा का किला तोड़ने के लिए बेकरार कांग्रेस हाईकमान छग में भी गठबंधन की रणनीति अपनाते हुए अजीत जोगी को मुख्यमंत्री पद देने पर विचार कर सकती है।

लेकिन भाजपा के लिए राहत की खबर यह है कि सर्वे के मुताबिक इन राज्यों में भले ही कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव में इन प्रदेशों के लोग दोबारा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं। अमित शाह भी 'मोदी मैजिक' की अहमियत को समझ रहे हैं और उनका इरादा इस बार इन राज्यों में मोदी की ज्यादा से ज्यादा सभाएं कराना होगा।

कुल मिलाकर इन तीनों राज्यों में सत्ता बचाए रखने के लिए भाजपा को एक बार फिर तारणहार के रूप में नरेंद्र मोदी को लाना ही होगा वरना इन प्रदेशों की राजनीति किसी भी ओर करवट ले सकती है।

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